अपने एक वीडियो को लेकर प्रेरक वक्ता (Motivational speaker) संदीप महेश्वरी ट्विटर पर ट्रेंड करने लगे हैं. यह वीडियो अक्टूबर 2019 का है जिसमें वे संस्कृत भाषा को बड़े ही हल्के में लेते दिख रहे हैं. अब हमारे देश की सबसे बड़ी परेशानी यही है कि सच बात को जब पचा नहीं पाते तो आहत होने की शरण में चले जाते हैं. अब चूँकि सत्य था तो कटु भी होना ही था. स्पष्ट है कि ये वाली सच्चाई लोगों को सहन नहीं हुई.
सोशल मीडिया पर संस्कृत को लेकर अकस्मात् जो प्रेम छाया है, वह देखते ही बनता है. उसे देख किसी भी संस्कृत प्रेमी की आँखें भर आएं. मैं तो कहती हूँ यही शुभ अवसर है. सरकार को इन सबके हस्ताक्षर लेकर संस्कृत को अनिवार्य विषय कर ही देना चाहिए.
जहाँ तक वीडियो की बात है तो उसमें विरोध जैसा कुछ भी नहीं है. लेकिन जैसा कि होता आया है कि सनसनीखेज़ बनाने के फेर में बजाय पूरे वीडियो के मात्र एक टुकड़ा डाला जाता है. यदि पूरा वीडियो देखा जाए तो उसमें संदीप किसी स्कूल के बच्चों को 'शिक्षा पद्यति को रुचिकर कैसे बनाया जाए' विषय पर सम्बोधित कर रहे हैं. इसमें बच्चे उन्हें अपनी नापसंदगी के विषय बता रहे हैं. संस्कृत का ज़िक्र आने पर वे बच्चों का मूड देखते हुए इसकी व्याख्या करते हैं (वायरल वीडियो में उतना ही हिस्सा है) जो कि उन्होंने बड़े ही मज़ाकिया ढंग से और देश में जो इस देवभाषा का हाल है, उसके अनुसार ही किया है. मैं इसका समर्थन किसी हाल में नहीं करती लेकिन आगे वे संस्कृत को वैकल्पिक विषय के रूप में रखने की बात भी कहते हैं जिसका वायरल वीडियो में कोई ज़िक्र ही नहीं! निस्संदेह उस एक टुकड़े में संदीप के शब्द ग़लत थे पर इरादे नहीं!
शतप्रतिशत सहमत हूँ कि भाषा का अपमान सहन नहीं करना चाहिए लेकिन उसी समय अपने गिरेबान में भी झाँक लेना चाहिए कि हमने इसके सम्मान में अब तक क्या योगदान दिया है? स्वयं सीखने की कोशिश की? इसके प्रचार-प्रसार में बढ़ावा दिया? किसी को इसे सीखने के लिए प्रेरित किया? यदि नहीं तो आपका विरोध ख़ालिस ढोंग के अलावा कुछ भी नहीं!
डालिए सरकार पर दबाव कि संस्कृत, स्पोर्ट्स और योग इन तीनों को अनिवार्य विषय के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल करे. भाषा ही क्यों, स्वास्थ्य और खेलकूद क्षेत्र में भी हमारी प्रगति होगी और देश की क़िस्मत चमकेगी.
विरोध कीजिए, दृढ़तापूर्वक अपनी असहमति भी दर्ज़ कराइये लेकिन केवल विरोध के नाम पर बात को पूरा समझे बिना, किसी भेड़चाल में शामिल होना नितांत मूर्खता ही मानी जाएगी!
अब आप
#क्षमा_मांगो_संदीप_माहेश्वरी का हैशटैग चलाएंगे तो स्पीकर क्षमा माँग भी लेंगे क्योंकि
किसी भ्रम या अफ़वाह से लबरेज़ सोशल मीडिया के मायावी दरबार में उलझने से कहीं बेहतर है नतमस्तक हो क्षमा माँग लेना! आप गुनहग़ार है भी या नहीं, इसका स्पष्टीकरण जानने में किसी की रुचि नहीं होती! कभी नहीं होती!
-प्रीति 'अज्ञात'
#संदीप_माहेश्वरी #SandeepSeminars #संस्कृत
अब सरस्वती की वीणा से झंकृत सप्तक के सुर की समीक्षा लक्ष्मीजी का उल्लू करेगा तो यही होगा न।
जवाब देंहटाएं'कुरु क्षमा, गुरोत्तमा।'
कुछ नयी चीजें जान पायी | सादर
जवाब देंहटाएंसही कहा
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