शनिवार, 2 नवंबर 2019

यात्रा

यात्राएँ, मनुष्य की मनुष्यता से मुलाक़ात हैं। ये मधुर आस्वादन है उन बातों का जो स्वतः ही कानों पर ठिठक जाती हैं। ये साक्ष्य हैं उन सुन्दर पलों की भी जो हैरत से ताक़ते, झाँकते मासूम बच्चों की शरारतें देख हँसी बन होठों पे लिपट जाते हैं।
यात्रा, आश्वासन भी है...सामान को सरकाते, बैठने की जगह बनाते, वृद्ध जोड़े का चार्जर लगाते उन युवाओं का कि इंसानियत जीवित है अभी!
यात्राएँ, मिलन है सभ्यता और संस्कृति का।
जहाँ एक ओर राजनीति केवल तोड़ने, बुराई करने और स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध करने की होड़ मात्र रह गई है; जो आपकी भारतीयता को उधेड़ बस हिन्दू-मुस्लिम धागे गिनाती आई है वहाँ ये यात्राएँ ही हैं जो आपको इन सबसे इतर केवल मनुष्य मान स्वागत करती हैं।
वर्तमान राजनीति ने इंसान से उसका ह्रदय छीन परस्पर द्वेष और घृणा करना ही सिखाया है। ये देशभक्ति नहीं सिखाती बल्कि देशवासियों को आपस में लड़ाने का कार्य करती है।
सार यह है कि राजनीति मनुष्य को तोड़ने का काम करती है और यात्रा जोड़ने का।
- प्रीति 'अज्ञात'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें