मंगलवार, 11 जनवरी 2022

मधुबन खुशबू देता है

गीत-संगीत की दुनिया इतनी विशाल और सुंदर है कि इसके बिना जीवन अधूरा ही लगता है। कई बार मैं सोचती हूँ कि हम सबको, इस देश के समस्त गीतकारों, गायकों और संगीतकारों का ऋणी होना चाहिए क्योंकि उन्होंने इस नीरस जीवन में जो रंग भरे हैं वह और किसी के बस की बात नहीं! जैसे पुस्तक हमारी सच्ची मित्र है, वही भूमिका संगीत की भी है। जहाँ संगीत की धुन है, वहाँ उस पर थिरकता एक हृदय भी अवश्य होता है। यह हमारा ऐसा साथी है जिसकी उपस्थिति से एक उदास मन भी खिल उठता है। कई बार हमें उदासी के सागर में डूबे रहना अच्छा लगता है तो उस समय यह भी हमारे कंधे पर सिर रख हमारे साथ हमारा दुख जीता है, तसल्ली देता है।

अब कोई यह पूछे कि कौन सा गायक या गायिका सबसे प्रिय है तो मेरे पास इसका कोई उत्तर नहीं! संभवतः आपके पास भी नहीं होगा! इस मामले में हम लोग बहुत समृद्ध हैं और जब पूरा समंदर ही मोतियों से भरा हो, तो किसी एक को चुन पाना बस की बात रही ही कहाँ!
आज मैं यसुदास जी की बात करना चाहूँगी। जिनके गाए एक गीत ने मुझे सदैव ही प्रेरित किया है। आज भी करता है। 'मधुबन खुशबू देता है', यह एक ऐसा गीत है जिसे मैं दिन-रात लगातार सुन सकती हूँ। जितने खूबसूरत इसके बोल हैं, उतने ही शानदार संगीत से इसे सजाया गया है। अमित खन्ना के लिखे और उषा खन्ना जी द्वारा संगीतबद्ध किए गए इस गीत में यदि किसी ने जान फूंकी है तो वे हैं यसुदास जी। इसका एक-एक शब्द मोतियों की तरह लिखा गया है और उसे कोहिनूर बना दिया है उनकी मधुर आवाज़ ने। यह कोई सामान्य आवाज़ नहीं, रूह तक पहुँचने वाली पवित्र ध्वनि है।
'सूरज न बन पाए तो, बनके दीपक जलता चल /फूल मिलें या अँगारे, सच की राहों पे चलता चल'
ये शब्द भर रह जाते लेकिन यसुदास जी ने इनमें ऐसा जादू भर दिया है कि आप उम्र भर के लिए इन्हें अपना प्रेरणास्त्रोत मान बैठते हैं। 'दिल वो दिल है जो औरों को, अपनी धड़कन देता है /जीना उसका जीना है, जो औरों को जीवन देता है' अहा! यह कोई उपदेश नहीं लगता, बल्कि ऐसा बनने के लिए हृदय स्वयं आह्वान कर बैठता है। यह एक ऐसा गीत है कि जिसने भी इसे सुना, वह इसका दीवाना हो गया। यसुदास जी के गाए अन्य गीतों को याद करें तो ये दीवानगी बढ़ती ही चली जाती है।
उनके गीतों, व्यक्तित्व और पुरस्कारों से जुड़ी बहुत सारी बातें हैं कहने को। 10 जनवरी उनके जन्मदिवस पर, उन्हें ढेर सारी शुभकामनाएं देते हुए, उनके पंद्रह गानों की सूची भी साथ रख रही हूँ जो मुझे बहुत पसंद हैं। शायद आपको भी अच्छे लगते हों! याद कीजिए, इन गीतों को -
चाँद जैसे मुखड़े पे बिंदिया सितारा
सुरमई अंखियों में
सावन को आने दो
जब दीप जले आना
गोरी तेरा गाँव बड़ा प्यारा
आज से पहले आज से ज्यादा
कहाँ से आए बदरा
माना हो तुम बेहद हंसीं
खुशियाँ ही खुशियाँ हो दामन में जिसके
सुन-सुन गाँव की गोरी
तू जो मेरे सुर में
मोहब्बत बड़े काम की
जानेमन जानेमन
का करूँ सजनी
दिल के टुकड़े टुकड़े कर के

शनिवार, 8 जनवरी 2022

जावेद, जो अब हबीब नहीं लगते!

एक समय था जब हम केश कर्तनालय या सीधे-सीधे कहें तो नाई की दुकान का नाम सुनते ही नाक-मुँह सिकोड़ दिया करते। बच्चों को तो पकड़-पकड़ जबरन वहाँ ले जाते हुए मैंने स्वयं देखा है। बच्चा भी हाथ पैर पटकते हुए ऐसी चीखें निकालता, मानो बिना anesthesia के उसकी शल्य चिकित्सा हो रही। भई, नाई और उसके उस्तरे का खौफ़ ही ऐसा था। वो बात अलग है कि कटिंग के अंतिम चरण में जब मुलायम वाले ब्रश में पॉन्ड्स पाउडर भरकर गर्दन पर फिराया जाता, तो इसी बच्चे की खी खी करते हुए बत्तीसी चमकती। गुदगुदी होती थी न!

सब कुछ होता पर 'बाल कटाने जाना है', यह कोई कहने वाली बात नहीं होती थी। लेकिन समय बदला और यहाँ जाना भी बड़ा ईवेंटफुल हो गया। बाकायदा अपॉइंटमेंट लिए जाने लगे और यह एक महत्वपूर्ण और सम्मानजनक व्यवसाय बन गया। 

इस परिवर्तन में जिस व्यक्ति का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता रहा, वह हैं जावेद हबीब।  जी, हाँ! यह हेयर कटिंग करने वाले व्यक्ति को हेयर स्टाइलिस्ट का भद्र नाम देने वाले शख्स का ही नाम है। उनके आने के बाद इस पेशे को बहुत अधिक सम्मान के साथ देखा जाने लगा। अब सैलून खोलना, संकोच का काम नहीं रहा था। इसमें कलात्मकता आ गई थी। देखा जाए तो जैसे भारतीय महिलाओं को अपनी त्वचा की देखभाल या सौन्दर्य के प्रति जागरूक करने की क्रांतिकारी शुरुआत शहनाज़ हुसैन ने की, ठीक वैसा ही बदलाव यह भी रहा। 

आज देश में जावेद हबीब के 300 से अधिक सैलून और कई एकेडमी हैं, जहाँ हेयर डिजाइनिंग/ हेयर स्टाइलिंग में सर्टिफिकेट या डिप्लोमा कोर्स कराया जाता है। कुल मिलाकर यह नाम एक ब्रांड बन चुका है, जिसके समकक्ष अभी कोई नहीं है। कहते हैं उन्होंने दिन-रात एक कर अपने पिता के इस व्यवसाय को प्रतिष्ठा दिलवाई थी। पर अब उसे गंवा चुके हैं। 

कुछ दिन पहले एक workshop में जावेद हबीब एक महिला के बाल पर यह कहते हुए थूक रहे थे कि ‘जब पानी की कमी हो तो ऐसे काम चलाया जा सकता है।' जिस बात को सुनकर भी घिन आ जाए, तो जिस पर बीती हो उसे कितना गंदा लगा होगा! ज़ाहिर है इसके विरोध में उस महिला ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उसके बाद इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर भी जारी हुआ,जहाँ जावेद हबीब की इस घटिया हरकत की जमकर लानत-मलानत हुई। 

अब जब पानी सिर से ऊपर गुजर गया तो अपने इस कृत्य पर माफ़ी मांगते हुए उन्होंने कहा कि 'लंबे शो होते हैं तो हमें उसको थोड़ा ह्यूमरस बनाना पड़ता है। एक ही बात बोलता हूँ, दिल से बोलता हूँ। अगर आपको सच्ची में ठेस पहुंची है, हर्ट हुए हैं तो दिल से माफ़ी माँगता हूँ। माफ करो न।'

अब आप भी मेरी तरह माथा पकड़ ये सोच रहे होंगे कि क्या किसी के ऊपर थूकने से humour पैदा हो सकता है? नहीं, न! लेकिन इस कार्यक्रम में ऐसा हुआ। जब जावेद हबीब ने थूकते हुए पानी की कमी वाली बात बोली तो वहाँ उपस्थित महिलाएं न केवल हँसीं बल्कि उन्होंने जमकर तालियाँ भी बजाईं। इससे हबीब का हौसला और बढ़ा, उन्होंने चहकते हुए आगे कह डाला, 'इस थूक में जान है।' हास्य का इससे घृणित रूप और क्या होगा! 

और जिस तरह से उन्होंने माफी माँगी है, उससे भी साफ़ ज़ाहिर हो रहा कि उसमें अफ़सोस का रत्ती भर भाव नहीं है बल्कि यह ज्यादा दिख रहा कि 'अरे!,ऐसी कौन सी बड़ी बात हो गई! हँसाने के लिए थूक ही तो दिया था।'

महिला के साथ तो बहुत गलत हुआ ही। पर इस 'humour' के मद्देनज़र जावेद हबीब ने अपनी ही साख पर खुद तगड़ा वाला बट्टा भी फेर दिया है। 

ऊंचाई पर चढ़ने में चाहे कितना वक़्त लगे पर आपकी एक गलती आपको वहाँ से पल भर में ज़मीन पर ला पटक देती है। इंसान चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए, यदि उसके व्यवहार में विनम्रता नहीं, दूसरों के प्रति सम्मान नहीं तो वह बेहद छोटा महसूस होता है जैसा कि इन दिनों जावेद हबीब लग रहे हैं। उनकी एक ओछी हरकत, उनके नाम को ले डूबी है!

- प्रीति अज्ञात 

#JavedHabib  #Jawed Habib #hairstylist #disgusting_act 

#नाचूँगाऐसे के घटिया बोल

आज एक नया वीडियो देखने को मिला। जिसके 'गीत' का एक 'अंतरा' मुझे बेहद आपत्तिजनक लगा।

"जैसे मुझे कोई चाबी मिल गयी
किसी वाइन स्टोर की
या यूज़ की गयी बंदी
मुझे खुद ही छोड़ गयी"
'यूज़' की गयी बंदी! ये किस तरह की सोच है? क्या आशय निकलता है, इससे? यही न कि 'बंदी तो यूज़ करने को ही होती है! अच्छा हुआ, खुद ही छोड़ गई!' बात इतना कहने पर ही नहीं रुकी, उसके बाद एक अश्लील हँसी भी है जिसे सुनकर दिमाग और भी खराब हो जाता है।
मैं मानती हूँ कि यह नए ज़माने का वो म्यूजिक है जिसका भाषा से कोई लेना देना नहीं होता! सबको मस्ती में थिरकने से ही मतलब है और सब कुछ बीट्स पर ही चलता है। यह भी ठीक कि यहाँ कोई ज्ञान लेने तो आता नहीं! न ही इनसे संस्कार की पाठशाला बनने की कोई उम्मीद है। लेकिन इस विकृत सोच को कहीं तो लगाम लगे! कितनी आसानी से लड़कियों के लिए Use & Throw का पाठ पढ़ा दिया गया है।
T- सीरीज़ द्वारा 24 दिसंबर, 2020 को रिलीज़, कार्तिक आर्यन के animated version पर फिल्माया गया यह वीडियो काफ़ी पॉपुलर हुआ है और इसके कई मिलियन व्यूज़ हो चुके हैं। शत प्रतिशत कैची नंबर है और सुनने वाले उसी बहाव में बहते नज़र आ रहे हैं। मैं वीडियो के कमेंट बॉक्स में देख रही थी कि किसी ने तो ये बात नोटिस की हो लेकिन वहाँ तो सब इसे खुद से जोड़ते हुए ऐसे खुश हो रहे थे कि जैसे इससे बेहतर कालजयी गीत अब तक रचा ही न गया!
कार्तिक आर्यन अच्छे कलाकार हैं। उनकी अपनी एक बड़ी फैन फॉलोइंग है। इस लिहाज़ से यह उनकी और T- सीरीज़ की जिम्मेदारी बनती थी कि 'महान गीतकार' से इसके बोल ठीक करवा लेते।
मैं यह भी मानती हूँ कि लड़कियों को एक वस्तु की तरह मानना कोई आज की बात नहीं, सदियों से यह चला आ रहा है। फ़र्क़ इतना है कि आज का युवा बेशर्मी के साथ, बिना हिचकिचाहट उसे एडमिट कर रहा है। लेकिन इस बात के लिए उनकी पीठ नहीं ठोकी जा सकती और न ही प्रसन्न हुआ जा सकता है। दुख इस बात का भी है कि बिना बोल सुने, समझे लड़कियाँ खुद इस पर नाच रहीं हैं।