बुधवार, 10 नवंबर 2021

Rohtang Pass & Atal Tunnel

जैसे पहाड़ का जीवन आसान नहीं, वैसे ही पहाड़ों पर जाना भी आसान नहीं। खासतौर से उनके लिए जो साल के 365 दिनों में से 360 दिन भुट्टे की तरह धीमी आँच पर सिकते रहते हैं। 30- 35 डिग्री के तापमान से माइनस पर पहुंच जाना पूरे तंत्र को हिला देता है। उस पर यदि आपको पहाड़ी इलाकों में चक्कर और उल्टी की समस्या हो, तब तो क्या खाक़ ही मज़ा आएगा! लेकिन इतने पर भी राहत कहाँ, अभी तो दुर्गम, खतरनाक रास्तों पर चलना शेष है। न चाहते हुए भी, बार-बार नज़रें गहरी खाई को देखती हैं और कलेजा बैठने लगता है। मुमकिन है कि जब आप रोहतांग की 13000 फ़ीट से भी अधिक ऊँचाई पर पहुंचें तो इन सब परेशानियों से जूझना पड़े।

लेकिन यदि आप अपने आसपास के अद्भुत वातावरण को देखेंगे तो आँखें भय को भूल प्रसन्नता से भर उठेंगी। हरियाली आपके शरीर के एक-एक ऊतक को नई चेतना देगी। आसमान मुस्कुराकर कहेगा, "ये देखो मेरा असल और निखरा हुआ रूप। इतना ही सुंदर, निर्मल हूँ मैं।" पहाड़ से इठलाते, ठुमकते हुए नीचे आता झरना, आपके हाथों में पानी की बोतल देख खिलखिलाकर हँसेगा कि ये शहरों के लोग कितने अज़ीब होते हैं! चेहरे को चूमती ठंडी हवा भी आपकी उड़ती हवाइयों को देख ठिलठिला उठेगी कि यार! तुमने टोपी केवल पहनी ही नहीं है, तुम खुद ही टोपा हो। 

हम चार क़दम चल अपनी धौंकनी सी चलती साँसों को पनाह देने के लिए कहीं ठहर जाते हैं कि तब तक हमसे दोगुनी उम्र का इंसान सरपट चलता आगे निकल जाता है। वो आगे है क्योंकि उसने शुरू से ही प्रकृति से प्रेम किया, उसकी गोद में खेला। उसे नष्ट नहीं किया। इसके बदले में प्रकृति ने उसे अथाह ताकत और ऊर्जा से भर दिया है। वो उन पहाड़ों पर सामान लादे हुए भी हिरण सा चलता है, जहां हम अपने आप को भी नहीं संभाल पाते। बार-बार लड़खड़ाते हैं। जिम में की जाने वाली तमाम मेहनत यहाँ पानी भरती नज़र आती है। 

असल में तो प्रकृति का आनंद लेने की पहली शर्त ही यही है कि आप उसमें खो जाओ, डूब जाओ प्रेम की तरह। फिर आपको हर जगह वही दिखेगा। मुस्कान भीतर से निकलेगी और दिल मोहब्बत से खिल उठेगा।

पहाड़ पर रहने वालों को प्रेम से जीना आता है, वो मुश्किलों को गिनाकर भाग्य को कोसते नहीं। बल्कि उनसे प्रेम कर उसे अपना जीवन बना लेते हैं। ये मुश्किलें ही उनका रोज़गार हैं, उनकी मुस्कान हैं। दिल का सुकून है।

ये पहाड़ एक प्रेमी की खुली हुई बाँहें हैं, जिनके शीतल घेरे में जीवन का हर तनाव, उड़न छू हो जाता है। ज़िंदगी और भी प्यारी लगने लगती है। ये गहरी खाइयाँ इसका मोल पल भर में समझा जाती हैं। आप आँखें मूँद अपनी मोहब्बत को याद करते हैं। राह आसान लगने लगती है और दिल महक उठता है। प्रेम, आपको ज़िंदा रखने और ज़िंदादिली बनाए रखने की सबसे खूबसूरत वज़ह है। आगे बढ़ने का हौसला भी यही देता है।

- प्रीति अज्ञात

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7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" गुरुवार 11 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. पहाडों का सौंदर्य देखते ही बनता है
    यह सही है कि पहाड से जो प्रेम करेगा वह जिन्‍दादिल और स्‍फूर्तिवान बना रहेगा
    आपने रोहतांग पास और अटल टनल का बहुत ही सुन्‍दर वर्णन किया है और साथ ही शहर से दूर इन वादियों में मिलने वाले सुकून को महसूस कराया है

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  3. सत्य कहा
    प्रकृति के सौंदर्य में मैं डूब जाती हूँ

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  4. बहुत बहुत ही सुंदर सृजन शब्द शब्द मन में उतरता।

    ये पहाड़ एक प्रेमी की खुली हुई बाँहें हैं, जिनके शीतल घेरे में जीवन का हर तनाव, उड़न छू हो जाता है.. वाह!सच कहा।
    सादर

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  5. प्रकृति की सुंदरता अद्भुत है जितना अधिक महसूस करो और उसमें खोते जाओ उतना ही आनंद प्राप्त होता है!
    अपने बिल्कुल सही कहा आदरणीय मैम!
    मैम आप बहुत खुश किस्मत वालीं हैं कि आप एक सोशल वर्कर हैं !मेरा भी सपना है सोशल वर्कर बनने का!काश की मैं भी एक दिन लोगों की मदद कर पाऊँ!पता नहीं वो दिन कब आएगा 😥

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  6. बढ़िया प्रस्तुति प्रिय प्रीति जी 👌👌👌👌🙏🌷🌷❤️❤️

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