मंगलवार, 14 मार्च 2023

नाटू-नाटू के साथ जमकर नाचो!

 

खेतों की धूल में कूदते हुए बैल की तरह नाचो, तुम इस बजते हुए ढोल पर उड़-उड़कर नाचो। ऐसे नाचो जैसे चप्पल-जूते पहन छड़ी से लड़ते हैं। ऐसे नाचो कि विशाल बरगद की छाया तले युवाओं का झुंड थिरक रहा है। तुम ऐसे प्रसन्न हो नाचो जैसे कि आज ज्वार की रोटी के साथ मिर्च का अचार भी खाने को मिला हो। नाचो मेरे वीर! तुम पूरे पागलपन से नाचो। इस क़दर नाचो कि हरी मिर्च का तीखापन दिखाई दे और उसमें चाकू सी धार हो। जैसे ढोल पीटने पर कान सुन्न हो जाते हैं और हृदय की धड़कनें बढ़ जाती हैं, नाचो नाचो। मेरे भाई! उस गीत की तरह नाचो जो आपकी उंगलियों को भी थिरकने पर मजबूर कर दे। तेज ताल पर जंगली नृत्य की तरह नाचो। तुम ऐसे नाचो जैसे पृथ्वी हिलने लगे। धूल-धूसरित होकर नाचो, धूल उड़ाकर नाचो। नाचो नाचो।

यूँ तो  'नाटू नाटू'  गीत हिन्दी में भी उपलब्ध है लेकिन मेरी रुचि इसके मूल भाव को समझने में थी। तेलुगू में लिखे गए इस गीत के अनुवाद को जब समझा तो हैरान हो गई। यह मनुष्य की उन भावनाओं से जुड़ा गीत है जो उसे उल्लास से भर देती हैं। जब खुशियों से उसका मन झूमता है, तब ही वह यूँ नाचता है जैसे  'नाटू नाटू' में नाचा है। इस गीत के बोल भावविह्वल कर देते हैं और यह भी बताते हैं कि एक आम आदमी के जीवन में खुशी के पलों का अर्थ क्या है और अपनी जमीन से जुड़े रहना क्या होता है। मानव मन असल में इतना ही भोला है कि छोटी-छोटी खुशियाँ ही उसे एक भरपूर जीवन दे जाती हैं। ये तो राजनीति ने सबके दिमाग में ज़हर घोल रखा है वरना हर मनुष्य अच्छा ही बना रह सकता है। 

किसी भारतीय भाषा में लिखे गीत को ऑस्कर मिलना देश के लिए गौरवान्वित करने वाला पल है। ये आह्लाद के, उल्लास के वे क्षण हैं जिनकी प्रतीक्षा एक लंबे समय से थी। इस पुरस्कार को किसी ट्रॉफी के प्राप्त कर लेने भर से नहीं आंका जा सकता बल्कि यह इस भाव को भी वैश्विक रूप से प्रतिष्ठित करता है कि हमारे संगीत में वह जादू है जो हर पैर को थिरकने पर विवश कर दे और इसके लिए 'नाटू नाटू' की पूरी टीम बधाई की पात्र है।  

अब इस गीत को ऑस्कर मिलना चाहिए था या नहीं! इस पर भी चर्चाओं का दौर चल पड़ा है। लेकिन मेरा मानना है कि घर बैठे सपने बुनते रहने से कुछ नहीं होता! जीतेगा वही जो प्रतियोगिता में भाग लेगा। मुझे तो लगता है कि 'जीना यहाँ, मरना यहाँ'', ' इक प्यार का नगमा है', 'नैन लड़ जइहैं', 'फूलों के रंग से' और ऐसे तमाम सादगी से भरे लेकिन जीवन रंग में घुले गीत भी ऑस्कर योग्य हैं। जाने भेजे गए होंगे या नहीं!  

कुढ़ने वालों का तो क्या ही कहा जाए पर अधिकांश जनता तो प्रसन्नचित्त ही है और भारतीयता का यह भाव जो अभी हमारे भीतर है, वह ओलंपिक या क्रिकेट के समय भी भरपूर देखने को मिलता है। शेष समय हम फ़लाने की हाय हाय, ढिमके की बॉयकॉट या ज़िंदाबाद/ अमर रहें में निकाल देते हैं। भारतीय सिनेमा को भी बॉलीवुड तक ही सीमित मान लिया जाता है। यहाँ तक कि अन्य राज्यों के कलाकारों को भी यह लगता है कि हिन्दी फिल्मों में आए बिना उनकी प्रतिभा को वह मान न मिल सकेगा जिसके वे हक़दार हैं! 

हाँ, एक बात और ... जिस दीपिका के विरुद्ध एक वर्ग ने भीषण हाहाकार मचा रखा था। वही प्रतिभावान और आत्मविश्वास से भरी दीपिका पादुकोण ऑस्कर में भारत का प्रतिनिधित्व करती नज़र आईं। मंच पर हों या श्रोताओं में बैठीं, उनकी खुशी, उनकी मुस्कान, उनके आँसू सब कह रहे थे कि एक सच्चा भारतीय देश के लिए ऐसे ही गर्व अनुभव करता है और देशभक्ति कोई ढोल पीट-पीटकर, अपने-अपने झंडे लहराकर सार्वजनिक प्रदर्शन की वस्तु क़तई नहीं होती! देशप्रेम कट्टर नहीं, एक सहज, कोमल भाव है जो अधिकांश भारतीयों की रगों में स्वतः ही दौड़ा करता है। प्रेम से रहकर देखो, सब अपने हैं। 
खैर! आओ, नाटू-नाटू के साथ नाचें।   
- प्रीति अज्ञात 

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Song: Naatu Naatu
Movie: RRR
Singer: Rahul Sipligunj, Kaala Bhairava
Lyrics: Chandrabose
Music: M.M. Keeravaani
Starring: NTR, Ram Charan
Label: Lahari Music

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