शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

प्रेमफरवरी-1

कई बार किसी प्रेम कहानी का हिस्सा न होते हुए भी, प्रेम का हर दर्द भोगना होता है। हर रिसते घाव का साक्षी बनना होता है। किसी की आहों में अपनी धड़कनों को भस्म होते हुए चुपचाप देखना होता है। तभी तो उधर जब कोई किसी के विरह की आग में जलता है, विलाप करता है तो इधर किसी और के हृदय में उठती प्रेम की लहरें साहिल से माथा टकरा-टकराकर पीड़ा के उसी समंदर में पुनः लौट जाती हैं जहाँ से कभी उम्मीद की आँखोँ में हज़ारों ख़्वाब भर साहिल तक की दूरी बड़े जतन से तय की थी। अति विश्वास में भरे प्रेमी अक़्सर यह भूल जाते हैं कि टूटना, बिखरना, भुला दिया जाना हर स्वप्न की नियति है और समंदर की नियति है प्रतीक्षा में डूब उम्र भर सिसकते रहना। उसका खारापन उसके जन्म से मृत्यु तक की अथाह पीड़ा और बेचैनी का सार है। लेकिन सृष्टि ने उस बदनसीब के माथे पर गति का चंदन लपेट दिया है। सो उसे बहना है, मुस्कुराना है, सबका हौसला भी बनना है। स्वयं सागर के हिस्से में क्या आता है, यह पलटकर देखने का वक़्त किसी के पास नहीं होता!
एकतरफ़ा प्रेम सिवाय पीड़ा के और कुछ नहीं देता। यह एक धीमी आत्महत्या है। 
#प्रेमफरवरी-1 
- © प्रीति 'अज्ञात'

3 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 02/02/2019 की बुलेटिन, " डिप्रेशन में कौन !?“ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. बहुत सुंदर सार्थक गहराई समेटे प्रस्तुति ।

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  3. प्रेम यदि सिर्फ प्रेम है किसी को बस पा लेने की चाहतभर नहीं तो ये दर्द तो देगा लेकिन धीमी मौत नहीं |

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