शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

बस...अब और नहीं

रेप का विरोध करने वालों और अपराधियों को दंड देने के लिए धरना देकर बैठने वालों को घसीटकर हटाया जाता है लेकिन बलात्कारियों के हाथ थाम, उन्हें पूरी सुरक्षा मुहैया कराते हुए बाइज़्ज़त उनकी ससुराल पहुँचाया जाता है। यहाँ वे मुफ़्त की रोटियाँ तोड़ते हुए सकुशल समय बिताते हैं और बाहर आते ही पीड़िता को ज़िंदा जला देते हैं। वे जानते हैं कि इस बार भी उन्हें वर्षों से चले आ रहे लचर न्याय-तंत्र का उत्तम संरक्षण प्राप्त होगा। 
 
पीड़िता का गुनाह यह कि उसने रेप की शिकायत पुलिस से कर दी। 
पीड़िता का गुनाह यह कि उसने न्याय-व्यवस्था पर विश्वास किया। 
पीड़िता का गुनाह यह कि उसने अपने जीवन को जीने की हिम्मत रखी और बलात्कारियों के विरोध में खड़े होकर सच कहने से नहीं हिचकिचाई!
पीड़िता का दुर्भाग्य यह कि जिस समाज के बीच उसने ये सच कहा, उन्हीं के सामने वह चीखती-जलती हुई चलती रही और सबने तमाशा देखा। 
पीड़िता का दुर्भाग्य यह कि उसी असहनीय पीड़ा के साथ उसने स्वयं सहायता के लिए फ़ोन लगाया। 
पीड़िता का दुर्भाग्य यह कि उसने उस शहर में आवाज उठाई जहाँ का विधायक स्वयं दुष्कर्म में लिप्त हो ठसके से घूमता रहा है।

झूठों और मक्कारों  की दुनिया में सच का कोई मोल नहीं!
आम इंसान के जीवन का भी कोई मोल नहीं!  
वे लोग जिनसे हम न्याय के लिए गिड़गिड़ाते हैं, उन्होंने ख़ुद को सबका ख़ुदा समझ लिया है।  
ये कैसा समय है कि सीमाओं पर सैनिक देश के लिए जान दे रहे हैं और सीमाओं के भीतर स्त्रियों की जान ली जा रही है। 

सौ बार सोचती हूँ कि अब कभी नहीं लिखूँगी। अच्छे से जान गई हूँ कि ये आक्रोश न तो ख़त्म होगा और न ही इससे कोई समाधान ही निकलेगा। पर इन दिनों स्त्रियों की जो मनःस्थिति हो रही है वो एक स्त्री से बेहतर कोई और नहीं समझ सकता! उससे होता क्या है पर!! नहीं लिखना है अब कुछ और... 
- प्रीति 'अज्ञात'

1 टिप्पणी:

  1. साहित्यकारों का काम लिखना होता है
    समाज में व्याप्त बुराइयों को, अच्छाइयों को, हर चीज को।
    लेकिन साहित्यकार इन चीजों को शीर्षक तो बना लेते हैं परंतु अंदर बनावटी दर्द होगा, ढोंग हो कोरा, फिल्मी बातें होगी।
    हम हूबहू लिख नहीं पाते क्योंकि हम साहित्य की रचना गर्म कम्बल में बैठ कर करते हैं और हम सम्पूर्ण फीलिंग मिस कर देते हैं
    और प्रभावहीन साहित्य रचते हैं जिससे समाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
    आप पाश को पढ़े
    आप दुष्यंत कुमार को पढ़े
    लाओत्से को पढ़े
    ओशो पढ़ें
    इनकी रचनाओं ने इतिहास पलट दिया था
    क्रांति खड़ी कर दी थी साहित्य के माध्यम से।

    आप भी कर सकती हैं बस तह तक पहुंचने के लिए तह तक पहुंचना पड़ेगा।
    सुंदर रचना।

    पधारें 👉👉 मेरा शुरुआती इतिहास

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