शुक्रवार, 20 मार्च 2015

अरे, खिड़कियाँ तो बंद करवा सकते हो !

बिहार में परीक्षाओं के हाल पर एक अधिकारी ने अभी कहा कि..."क्या करें, इन्हें गोली तो मार नहीं सकते!"
सहमत, क्योंकि गोली तो आप खुलेआम क़त्ल करने वाले अपराधी को भी नहीं मार पाते, ये तो बेचारे, बच्चों के उजियारे भविष्य की चाह में, लटकने को मजबूर, निरीह माँ-बाप ठहरे ! छि:..धिक्कार है !

आपकी मासूमियत पे तरस आता है, सर जी ! अरे, खिड़कियाँ तो बंद करवा सकते हो ! 
* अंदर से ज़्यादा, बाहर की पहरेदारी तो करवा सकते हो ! 
* जो अभिभावक लटके हैं, उनके बच्चों की परीक्षाएँ तो निरस्त करवा सकते हो !
* सबसे आसान, शिक्षा का स्तर तो सुधार सकते हो !
* CCTV कैमरे का इस्तेमाल कब करोगे, साहेब ? 

अध्यापक अच्छे से पढ़ाएँ और विद्यार्थी नियमित आते रहें, तो ये शर्मनाक स्थिति पैदा ही न हो ! दुख ऐसे अभिभावकों को देखकर भी होता है, ऐसी शिक्षा और डिग्री दिलवाकर आप जैसे लोग ही 'बेरोज़गारी' को ज़िंदा रखे हो और फिर चले आओगे आंदोलन लेकर ! जितनी मेहनत आप कर रहे हो, उसके लिए कभी बच्चों को ही प्रेरित कर दिया होता !

लेकिन ये भी सच है, कि तस्वीर भले ही यही सामने आई हो, पर सिर्फ़ बिहार ही नहीं, ऐसे तमाशे और भी कई राज्यों में शिक्षा की मिट्टी पलीद किए हुए हैं ! 
यही भारत देश है मेरा......! :( 
- प्रीति 'अज्ञात'