बुधवार, 27 अप्रैल 2016

नालसरोवर

यदि पक्षियों और खूबसूरती की दृष्टि से देखा जाए तो 'नालसरोवर' को मैं दुनिया की दस सबसे सुन्दर झीलों की श्रेणी में रखना चाहूँगी। यह प्राकृतिक सुंदरता और अथाह जलीय पौधों का ऐसा कोष है जिसे कैमरा भी चाहे तो क़ैद नहीं कर सकता। एक घर है ये, कई विलुप्तप्राय: प्रजातियों, प्रवासी, अप्रवासी पंछियों का। इसे आँखों में भरा जा सकता है, महसूस किया जा सकता है और इन लम्हों को बरस-दर-बरस संजोते हुए जिया जा सकता है। 120 किमी. के क्षेत्र को अपनी बाहों में समेटे इस जलाशय के क़रीब पहुँचते ही मन उल्लसित हो उठता है और भीषणतम सर्दी की परवाह किये बिना आप उस पानी में उतरने का मन बना लेते हैं। जी, हाँ पानी में  उतरने का! यह भी एक ख़ासियत है यहाँ की, आप इस झील पर चल भी सकते हैं। मल्लाह की मानें तो यहाँ जलस्तर मात्र 4 फ़ीट गहरा ही है।

पानी में झांको तो वनस्पति नजर आती है, बड़ी-बड़ी लम्बी घास के रास्तों से गुजरते हुए जब कश्ती चलती है तो इसके सामने कोई और पल टिक ही नहीं सकता। सोचो, कैसा लगेगा जब झील के बीचों-बीच पहुँचो और कोई कहे...जाइए, यदि इच्छा हो तो थोड़ा टहल आइये! मैं पलटकर उनकी तरफ देख आश्वस्त होना चाहती हूँ कि क्या मल्लाह ने वही कहा जो मैंने सुना। उसकी मुस्कान, मेरी खिलखिलाहट में तब्दील हो जाती है और मैं नाव से कूद, थोड़ा पानी में चलते हुए उस टापू तक पहुँचने में एक क्षण भी जाया नहीं करती।
 
यहाँ के पंछियों को आदत है, मनुष्यों को देखने और तस्वीरें खिंचवाने की। इसलिए एक निश्चित दूरी रखने पर ये अपनी जगह टिके रहते हैं और आप उन्हें जी भरकर निहार सकते हैं। ऐसे कई स्पॉट हैं यहाँ। 
कितने ताज्जुब की बात है कि 15 वर्ष हुए मुझे इस शहर में,  कितनी बार यहाँ आने का सोचा पर न आ सकी। आज आई तो अचानक, बिन सोचे ही।

यदि birdwatching में रूचि रखते हैं तो दिसंबर-जनवरी के माह में सुबह 5.30 तक पहुँच जाना चाहिए। यहाँ काफी भीड़ होती है और टिकट की लम्बी लाइन भी। लाइन से बचने का जुगाड़-तंत्र भी यहाँ मौजूद है। यही इसकी सबसे बड़ी कमी है कि ग्रुप में जाने पर ये सारे स्पॉट्स नहीं दिखाते और आप कई बेहतरीन प्रजातियों को देखने से वंचित रह जाते हैं। Personal boat का किराया 3000/- से शुरू होता है और आपके समय के हिसाब से spots और रेट तय होता है। Shared boat में 200-300/- प्रति व्यक्ति के हिसाब से भी जाया जा सकता है। 6 मुख्य स्पॉट्स हैं, जहाँ जाना बनता ही है। यहाँ के अधिकारियों से निवेदन है कि मनचाहे रेट्स के अत्याचार से जनता को बचाने के लिए इस दिशा में उचित क़दम शीघ्र ही उठायें। ये प्रकृति-प्रेमी लोग हैं जिनका ऐसे स्थानों पर एक बार जाने से जी ही नहीं भरता!
यदि आप लोकल भोजन से परहेज नहीं करते और हाइजीन के मारे नहीं तो यहाँ के लोगों द्वारा तैयार किये भोजन का स्वाद भी अवश्य लें। वैसे अपना टिफ़िन भी ले जाया जा सकता है।
* वर्ष की शुरुआत को सुन्दर बनाने की एक कामयाब कोशिश! सलाम, जनवरी! विदा दिसंबर!
(जनवरी 2016 में लिखी गई पोस्ट)
- प्रीति 'अज्ञात'
* कृपया अनुमति के बिना, तस्वीरों का अन्यत्र उपयोग न करें।
 धन्यवाद :)