बुधवार, 9 सितंबर 2020

#कंगना अपने घर ही गई हैं.

आज मुम्बई एयरपोर्ट के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी भव्यता से उल्लंघन हुआ. वाह! क्या विहंगम दॄश्य था! एक तरफ करणी सेना और दूसरी तरफ़ शिवसेना ने अपने-अपने मोर्चे संभाल लिए थे. करणी सेना ने कंगना के स्वागत में 'जय हो' का गान गाकर और शिवसेना ने उनके विरोध में फुफकार भर अपने-अपने कर्तव्यों का पूरी तन्मयता से पालन किया. इस घटनाक्रम में  दोनों सेनाओं का आत्मविश्वास और समर्पण भाव देखने लायक था. 

दुर्भाग्य से यदि आप पानीपत के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय युद्ध देखने से वंचित रह गये हैं तो अपनी लक़ीरों को कोसना छोड़, तुरंत ही इडियट बॉक्स को ऑन कीजिए. तत्पश्चात पूरे युद्ध का सचित्र, ससंवाद पुनर्प्रसारण देख स्वयं को कृतार्थ महसूस कर लीजिए. संजय बनी मीडिया आपको पल-पल की अविस्मरणीय सूचना देने में तन-मन (न जी, धन उनका नहीं है) से लगी हुई है.

इस शौर्यपूर्ण मैच के घटित होते समय बी.एम.सी. हाथ में हथौड़ा लिए 'रिटायर्ड हर्ट' फील कर रही है तो पवेलियन में बैठी बी.जे.पी. मजे ले आइसक्रीम खा रही. उसे पता है कि अपन खेलें या न खेलें, टीम का हिस्सा हों कि न हों पर जीतेगा तो.......!

फ्लाइट के अंदर बैठे यात्री जो अभी तक स्वयं को धन्य महसूस कर रहे थे, उन्हें पता नहीं कि बाहर आते ही उनकी इस धन्यता पर कड़ा प्रहार होगा और टैक्सी के लिए उन्हें अभूतपूर्व धक्कामुक्की से जूझना पड़ सकता है.  ख़ैर! आम जनता से अपने को क्या मतलब! उम्मीद है शाम तक टैक्सी कर आज रात तक तो वे अपने घर पहुंच ही जाएंगे. अब इतनी मुश्क़िल घड़ी में देश के लिए इतना तो कोई भी हँसते- हँसते सहन कर ही लेगा! 

और इस तरह देश के फोकस की सुई रिया से घूमकर कंगना पर सेट हो चुकी है. उनकी सुरक्षा व्यवस्था देखकर बड़े- बड़े लोगों के कलेजे पर साँप लोट रहा है.अब ज़िक्र कर ही दिया है तो एक बात और क्लियर कर दें कि अपने दुश्मनों से लड़ने को कंगना अकेली ही काफी हैं. वो जब चाहें इन तथाकथित सेनाओं को धूल चटा सकती हैं. उनके नाम से शहर के नेता भी काँपते हैं और अभिनेता भी! इस शेरनी को न तो किसी के सपोर्ट की जरूरत पहले थी, न अब है. हाँ, अब कोई ख़ुद ही गले पड़ जाए या अपना बन साथ खड़ा हो जाए तो अच्छा तो लगता ही है न जी!

अब मिलियन डॉलर प्रश्न ये बचा कि वो कहां जाएंगी? नक्को चिंता! अपनी मीडिया है न! उन्हें लेने आई थी तो क्या अब उनके डेस्टिनेशन तक, लाइव छोड़कर भी न आएगी? क्या बात करते हैं आप! वैसे इस पूरे प्रकरण में मीडिया का काम प्रशंसनीय है. हमें गर्व है कि रिया हो या कंगना, उनके लिए सब बराबर हैं. आज भी उन्होंने उसी निष्पक्षता और ईमानदारी का परिचय दिया, जिसके लिए हम उन्हें रोज सलाम करते आए हैं.

अच्छा, एक बात तो बताना भूल ही गए कि एयरपोर्ट के बाहर विरोध और समर्थन के नारे ऐसे टकरा रहे थे जैसे कि रामानंद सागर के रामायण में तीर टकराकर रस्ते में ही ढेर हो जाते थे. सुनने में दिक्क़त हो रही थी. उस पर पोस्टर भी ठीक से नहीं बनाए गए थे. न जाने क्या लिखा होगा, सोचकर ही बड़ी चिंता हो रही. शायद जल्दबाज़ी में ऐसा हो गया होगा! चलो, अगली बार ध्यान रखना. 

वैसे हमें पूरा यक़ीन है कि हर एक पोस्टर और नारे का विस्तृत विवरण, कंगना देंगी ही. अरे हाँ! सबसे जरुरी बात! एक बार 'पाकिस्तान चली जाओ' भी सुनाई दिया था. तब कहीं जाकर हमारे बेचैन दिल में कुछ चैन के भाव उमड़े. लगा, सब कुछ नॉर्मल ही तो चल रहा. हम खामखाँ हलकान हुए जा रहे!

* अभी-अभी ज्ञात हुआ कि कंगना अपने घर ही गई हैं.

- प्रीति 'अज्ञात' #Kangana Ranaut #कंगना_रनाउत 



4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 9.9.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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  2. टी वी वालों को दिखाने और कई दिन उलझाने के लिए एक तमाशा और मिल गया 😂

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  3. हमारे फ़ोकस की सुई तो फ़िलहाल रिया की 'टरकी' और कंगना की 'घर की' बातों से हटकर आपकी 'फिरकी' लेखनी में उलझ गयी है! बहुत मज़ेदार 'आँखों देखा हाल'। सुशील दोषी याद आ गए मानों उनसे लोर्ड़्स पर गावस्कर के शतक ठोकने का नज़ारा सुन रहे हों।

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  4. अद्भुत क्षमता है लेखनी में, चासनी में लिपटे शानदार पकवान सी, चखा हुवा या देखा हुवा सा सुंदर प्रस्तुति।

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