अहमदाबाद फ्लॉवर शो हमेशा से ही ख़ास रहा है। मेरे लिए इस बार इसका महत्त्व और भी बढ़ गया क्योंकि इसमें हमारे बोन्साई क्लब का स्टॉल भी लगा है। जहाँ विज़िटर्स को बोन्साई सीखने की प्रेरणा मिलती है क्योंकि हम प्लांट्स बेच नहीं रहे।
3 से 13 जनवरी तक चलने वाले इस मेले में आने के बाद समय का पता ही नहीं चलता। यहाँ लगभग 750 प्रजातियों के तीन लाख से भी अधिक पौधे हैं। फूलों और पौधों के प्रयोग से सुन्दर sculptures तैयार किये गए हैं। एक sculpture में लोहे के स्टूल का प्रयोग भी शानदार है। 20-22 nurseries भी हैं जहाँ जाने के लिए मन लालायित हो उठता है। फिर बाद में पौधों का बैग उठाने में जान जरूर निकलती है। बगीचे में काम आने वाले टूल्स और खाद वगैरह भी हैं यहाँ।
हैंडीक्राफ्ट, खादी, हर्बल प्रोडक्ट्स और जाने कितने स्टॉल्स हैं...जो हमने भी नहीं देखे अभी। बुक स्टॉल भी है।
कहते हैं, रात को ये और भी सुंदर दिखता है। लाइटिंग वाला वीडियो देखा तो यक़ीन हुआ कि लोग ठीक ही कहते हैं।
बाक़ी सारी सुविधाएँ तो हैं ही, जिनके लिए ये शहर कभी शिक़ायत नहीं करता। फूल-पत्ती प्यारे हों और साथ कैमरा भी हो तो हरियाली ज़िंदाबाद, दिल ज़िंदाबाद, शहर ज़िंदाबाद! और हाँ, कान खोलकर सुन लो; मेरा देश तो हमेशा से ज़िंदाबाद था, ज़िंदाबाद है और ज़िंदाबाद रहेगा। ये लास्ट वाली लाइन फ़िल्मी कीड़े की देन है पर सॉलिड है न!
- प्रीति 'अज्ञात'
Photos clicked by Preeti Agyaat
3 से 13 जनवरी तक चलने वाले इस मेले में आने के बाद समय का पता ही नहीं चलता। यहाँ लगभग 750 प्रजातियों के तीन लाख से भी अधिक पौधे हैं। फूलों और पौधों के प्रयोग से सुन्दर sculptures तैयार किये गए हैं। एक sculpture में लोहे के स्टूल का प्रयोग भी शानदार है। 20-22 nurseries भी हैं जहाँ जाने के लिए मन लालायित हो उठता है। फिर बाद में पौधों का बैग उठाने में जान जरूर निकलती है। बगीचे में काम आने वाले टूल्स और खाद वगैरह भी हैं यहाँ।
हैंडीक्राफ्ट, खादी, हर्बल प्रोडक्ट्स और जाने कितने स्टॉल्स हैं...जो हमने भी नहीं देखे अभी। बुक स्टॉल भी है।
कहते हैं, रात को ये और भी सुंदर दिखता है। लाइटिंग वाला वीडियो देखा तो यक़ीन हुआ कि लोग ठीक ही कहते हैं।
बाक़ी सारी सुविधाएँ तो हैं ही, जिनके लिए ये शहर कभी शिक़ायत नहीं करता। फूल-पत्ती प्यारे हों और साथ कैमरा भी हो तो हरियाली ज़िंदाबाद, दिल ज़िंदाबाद, शहर ज़िंदाबाद! और हाँ, कान खोलकर सुन लो; मेरा देश तो हमेशा से ज़िंदाबाद था, ज़िंदाबाद है और ज़िंदाबाद रहेगा। ये लास्ट वाली लाइन फ़िल्मी कीड़े की देन है पर सॉलिड है न!
- प्रीति 'अज्ञात'
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बहुत सुन्दर चित्र
जवाब देंहटाएंhttp://savanxxx.blogspot.in