शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2018

यूँ ही...

ये जीवन भी बड़ी अजीब सी स्थिति में बनाये रखता है जब मन अच्छा हो और दिल ख़ुश तो सब कुछ बेहद आसान, सरल, सुंदर दिखाई देता है लेकिन जब मूड के ठीक 12 बजे हों तो इससे अधिक जटिल, दुरूह और बदसूरत कुछ नहीं दिखाई देता! कुल मिलाकर हमारी यह धारणा उस आधार पर बनती है जो हम प्रतिदिन देख सुन रहे हैं या जो हम पर ही सीधा बीत रहा है. आज यदि हर तरफ नकारात्मक वातावरण , दुःख और परेशानी दिखाई दे रही है तो इसका यह मतलब क़तई नहीं कि दुनिया में कहीं कुछ अच्छा हो ही नहीं रहा! ख़ूब हो रहा है, लोग अपनी दुनिया में छमाछम, मस्त नाच गा रहे हैं. उन्हें न ढोंगी टीवी में दिलचस्पी है, न अख़बार में. सोशल मीडिया से कोसों दूर रहने वाले इन लोगों की ज़िंदगी आम 'जागरूक' लोगों से बेहतर और कहीं अधिक चैन की कट रही है. 😌
फिर भैया! सच तो जस का तस होता है सो सकारात्मक घटनाओं में चटपटा वाला तड़का नहीं डल पाता इसलिए वे उतनी बिकती ही नहीं! तभी तो पिंक पेंट वाला लड़का, दुबई वाली लड़की, बिग बॉस में श्रीसंत की हरक़तें और आधी रात को भटकते भूत की ख़बरें सारी भीड़ बटोर लेती हैं 😈. बेचारी अच्छाई हमेशा प्रतीक्षा सूची में अंतिम पायदान पर नज़र आती है. अच्छे लोगों की भी कोई क़दर ना रही! 😥

अरे हाँ! ल्यो अच्छाई से याद आया कि चाहे कुछ भी हो पर 'रामायण' ने यह सिद्धांत तो प्रतिपादित कर ही दिया था कि बड़बोले और घमंडी इंसान का सर्वनाश सुनिश्चित है. रावण दहन उसी का ही प्रतीक है. फिर काहे कुछ लोग अपनी बेमतलब की ठसक में मरे जाते हैं जी? 😮
वे जो मर्यादा पुरुषोत्तम से मर्यादा में रहना ही नहीं सीख सके वे उनके भक्त नहीं कछु औरई हेंगे. 😤
रावण दहन से क्या होगा जी?
राम को भी तो जीवित रखना होगा!
इश्श! चुनाव में नहीं रे...ह्रदय में पगलू! 😍
सियावर रामचंद्र की जय! पवनसुत हनुमान की जय!
'चला जा रहा था मैं डरता हुआ....' उफ़्फ़! हाय राम! ये काहे याद आ गया! 😳😎😜
- प्रीति 'अज्ञात'
#विजयादशमी #दशहरा 

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