बहुत सालों पहले एक फ़िल्म आई थी, 'महान'. उस फ़िल्म में ऐसा कुछ भी महान नहीं था पर चूँकि अपने लंबू की थी तो देखना जरूरी ही था। उसी का एक गीत 'प्यार में दिल पे मार दे गोली, ले ले मेरी जान' उन दिनों बेहद पॉपुलर हुआ था। टोटल बक़वास गीत था पर थोड़ा सकुचाते हुए स्वीकार कर ही लेती हूँ कि उस समय मुझे भी ये ख़ूब पसंद था। मुझे इस गाने की लोकेशन ने प्रभावित किया था और तबसे मैंने ठान लिया था कि अपने को भी एक दिन इसी जगह खड़े होकर ये वाला गीत गाना है। खी खी मत कीजियेगा, बच्चे थे अपन तब। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि इसी का एक और गीत 'जिधर देखूँ तेरी तस्वीर नज़र आती है' का Sad version तब भी शानदार लगता था और अब भी। लिंक दे रही हूँ, समय मिले तो सुन लीजियेगा।
पर हाँ, उस समय बात और ख़्वाहिश दोनों आई गई हो गई।
बाद में पता चला कि ये मूवी नेपाल में शूट हुई है तो जैसे उम्मीद पर घड़ों पानी फिर गया क्योंकि उन दिनों प्लेन में बैठना तो दूर उसे देखना भी बड़ा मुश्किल हुआ करता था। मुझे याद है कि जैसे ही हेलीकॉप्टर या प्लेन के गुजरने की आवाज सुनाई देती थी, मैं और मेरा भाई पूरी ताक़त और गति के साथ सीढ़ियों से दौड़ते हुए छत पर जा पहुँचते थे और फिर धुँए की लक़ीर देखकर ही खुश हो जाते थे कि देखो इधर से गया था।
ख़ैर! ये सब तो पुरानी बात थी। इसके बाद तीन वर्ष फ्लोरिडा(अमेरिका) में रही। फिर बैंकॉक, दुबई की यात्राएँ भी हुईं लेकिन नेपाल जाने की तमन्ना बरक़रार रही। आलम ये था कि एक दिन मैंने पतिदेव से कहा कि लिखकर दो 'अपन नेपाल चलेंगे' और लिखवाकर वो पर्ची भी अगली लड़ाई में इस्तेमाल करने के इरादे से संभालकर रख ली थी।
अबकी मम्मी पापा के विवाह की पचासवीं वर्षगाँठ पर हम सबने साथ घूमने का प्लान किया। मेरी प्राथमिकता सूची में मिज़ोरम या हिमाचल प्रदेश थे पर साहब की छुट्टियों की दुविधा के कारण कुछ तय नहीं हो पा रहा था। बेटा भी अपना प्रोजेक्ट निबटाकर 3 जून रात को यहाँ आने वाला था, 4 उसे तैयारी के लिए चाहिए था और बेटी के स्कूल 10 जून से खुल रहे थे। मैं स्वयं अपनी पुस्तक के सिलसिले में बाहर थी तो 5 से पहले मेरा जाना भी संभव नहीं था। अब इतने कम समय में कहाँ जाएँ और कब घूमें!
ऐसे में अचानक पतिदेव का ये कहना कि "चलो, नेपाल चलते हैं। वही ट्रिप संभव है।" सुनकर मेरी तो बाँछें ही खिल गईं और वर्षों पुरानी तमन्ना अचानक ही पूरी हो गई वो भी तब जबकि वो मेरी सूची में थी भी नहीं!
यात्रा और घुमक्कड़ी के अपने तमाम मीठे-नमकीन किस्से हैं। धीमे-धीमे कभी वो भी लिख ही डालूँगी। ये बात तो बस ये बताने को लिखी है कि "किसी चीज़ को शिद्दत से चाहो तो....... ब्लाह ब्लाह ब्लाह।"
- प्रीति 'अज्ञात' #नेपालयात्रा #काठमांडू #Nepal #Kathmandu
#Nepal_trip_part_1
https://www.youtube.com/watch?v=6H3ZX-w7sVQ
पर हाँ, उस समय बात और ख़्वाहिश दोनों आई गई हो गई।
बाद में पता चला कि ये मूवी नेपाल में शूट हुई है तो जैसे उम्मीद पर घड़ों पानी फिर गया क्योंकि उन दिनों प्लेन में बैठना तो दूर उसे देखना भी बड़ा मुश्किल हुआ करता था। मुझे याद है कि जैसे ही हेलीकॉप्टर या प्लेन के गुजरने की आवाज सुनाई देती थी, मैं और मेरा भाई पूरी ताक़त और गति के साथ सीढ़ियों से दौड़ते हुए छत पर जा पहुँचते थे और फिर धुँए की लक़ीर देखकर ही खुश हो जाते थे कि देखो इधर से गया था।
ख़ैर! ये सब तो पुरानी बात थी। इसके बाद तीन वर्ष फ्लोरिडा(अमेरिका) में रही। फिर बैंकॉक, दुबई की यात्राएँ भी हुईं लेकिन नेपाल जाने की तमन्ना बरक़रार रही। आलम ये था कि एक दिन मैंने पतिदेव से कहा कि लिखकर दो 'अपन नेपाल चलेंगे' और लिखवाकर वो पर्ची भी अगली लड़ाई में इस्तेमाल करने के इरादे से संभालकर रख ली थी।
अबकी मम्मी पापा के विवाह की पचासवीं वर्षगाँठ पर हम सबने साथ घूमने का प्लान किया। मेरी प्राथमिकता सूची में मिज़ोरम या हिमाचल प्रदेश थे पर साहब की छुट्टियों की दुविधा के कारण कुछ तय नहीं हो पा रहा था। बेटा भी अपना प्रोजेक्ट निबटाकर 3 जून रात को यहाँ आने वाला था, 4 उसे तैयारी के लिए चाहिए था और बेटी के स्कूल 10 जून से खुल रहे थे। मैं स्वयं अपनी पुस्तक के सिलसिले में बाहर थी तो 5 से पहले मेरा जाना भी संभव नहीं था। अब इतने कम समय में कहाँ जाएँ और कब घूमें!
ऐसे में अचानक पतिदेव का ये कहना कि "चलो, नेपाल चलते हैं। वही ट्रिप संभव है।" सुनकर मेरी तो बाँछें ही खिल गईं और वर्षों पुरानी तमन्ना अचानक ही पूरी हो गई वो भी तब जबकि वो मेरी सूची में थी भी नहीं!
यात्रा और घुमक्कड़ी के अपने तमाम मीठे-नमकीन किस्से हैं। धीमे-धीमे कभी वो भी लिख ही डालूँगी। ये बात तो बस ये बताने को लिखी है कि "किसी चीज़ को शिद्दत से चाहो तो....... ब्लाह ब्लाह ब्लाह।"
- प्रीति 'अज्ञात' #नेपालयात्रा #काठमांडू #Nepal #Kathmandu
#Nepal_trip_part_1
https://www.youtube.com/watch?v=6H3ZX-w7sVQ
बहुत सुंदर है नेपाल..आप ने अवश्य खूब मस्ती की होगी..☺☺
जवाब देंहटाएंहाँ, बहुत मज़ा आया :)
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
नेपाल यात्रा कड़ियों में लिखिए। फिलहाल मेरी शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंजी, सोचा तो यही है.
हटाएंधन्यवाद
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर चर्चा - 3365 दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
धन्यवाद
हटाएंवाह!!आपको तो बिन माँगे मोती मिल गए ...।
जवाब देंहटाएंजी :D
हटाएंधन्यवाद, शिवम् जी
जवाब देंहटाएंइंतज़ार रहेगा आपकी यात्रा के रोमांच का।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंअति सुंदर लेख
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंवाह दिल के अरमां पूरे हुए
जवाब देंहटाएंहाँ, सखी :D
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