मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है लेकिन लॉकडाउन के बाद से यह सामाजिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो चुकी थी. तब जरुरत भर के लिए ही बाहर निकलना हो पा रहा था. अब लॉकडाउन लगभग हट ही गया है एवं लोग बाहर निकलने लगे हैं पर दिनचर्या अब भी कोरोना महामारी के पहले जैसी नहीं हो पाई है.
स्कूल, कॉलेज सब बंद हैं. बच्चों की पढ़ाई भी अब ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से हो रही है. यहाँ उनके माता-पिता को यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि पढ़ते समय बच्चा ऑडियो-वीडियो बंद न रखे. बार-बार किसी बहाने से उठकर जाए नहीं. उसके खाने-पीने का टाइम टेबल पहले से ही तय कर दें और यह सुनिश्चित कर लें कि वह बिना खाए पढ़ने न बैठे.
इन दिनों जहाँ संभव है, वहाँ ऑनलाइन काम करने पर अधिक जोर दिया जा रहा है. यहाँ तक कि योगा क्लास, ऑफिस मीटिंग, साहित्यिक चर्चा, गोष्ठी इत्यादि के लिए भी ज़ूम, गूगल मीट इत्यादि ऐप का सहारा लिया जा रहा है. इससे घर बैठे काफ़ी काम आसानी से हो रहा है. लेकिन घर बैठने का यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि ऑनलाइन कार्यक्रम के समय भी आप तौलिया या मैक्सी में नज़र आएं! आपको हँसी आ गई होगी, पर यह वाक्य सच्ची घटना पर आधारित है.
भले ही आप घर में बैठे हैं लेकिन औपचारिक कार्यक्रमों में वीडियो पर उपस्थित होने के भी आठ सलीक़े होते हैं जिन्हें भलीभांति समझ लेना आवश्यक है -
शिष्टता - बीते दिनों एक ऑनलाइन सेमिनार में सहभागिता हुई. वहां एक महाशय पीछे टेका लगाए बनियान पहने साक्षात् हलवाई का रूप धारण कर विराज़मान थे. देखकर दिमाग़ घूम गया. भई, दोस्तों के साथ की बात और है, तब आप वीडियो कॉल में कैसे भी रहें कोई फ़र्क नहीं पड़ता! लेकिन यदि कोई क्लास या औपचारिक कार्यक्रम है तो अनावश्यक देह प्रदर्शन से बचें.
समय की महत्ता - सबसे पहले तो यह सुनिश्चित कर लें कि जिस ऐप मीटिंग को आप अटेंड करने जा रहे हैं वह ऐप आपके मोबाइल में इनस्टॉल है या नहीं. चर्चा शुरू होने के बहुत पहले ही यह काम कर लिया जाना चाहिए जिससे कि आप समय पर उपस्थित हो सकें. वैसे भी समय का सम्मान तो करना ही चाहिए. यक़ीन मानिये उस समय आपका सिर्फ इस कारण देरी से उपस्थित होना बहुत ख़ीज़ पैदा करता है.
अनुशासन - होस्ट की कही बातों को ध्यान से सुनें एवं समझें भी. उसके बनाये नियमों का पालन करें. यदि उसने सबको म्यूट रखा हुआ है तो अपनी बारी आने पर ही बोलें. जहाँ समय सीमा होती है वहाँ तो इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए. यूँ भी एक साथ बोलने पर चर्चा किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सकती. साथ ही आप असभ्य भी दिखते हैं.
व्यवस्थित रहें - विषय से सम्बंधित सभी वस्तुएं अपने पास रखें. पेन, पेपर, बुक्स इत्यादि. मोबाइल म्यूट पर रखें. पानी भी एक हाथ की दूरी पर रख लें. कुल मिलाकर उस दौरान अतिशय मूवमेंट नहीं करना है. जी, गतिक की बजाय स्थिर अवस्था में रहना है.
सभ्यता न भूलें - ज्यादा तैयार न भी हों पर चेहरा धुला हो, साफ़-सुथरे कपड़े पहनें हों और बाल व्यवस्थित रहें. उबासी लेता हुआ इंसान औरों में भी आलस भर देता है. बैठने की पोज़िशन भी तय कर लें.
यदि बहुत लम्बी क्लास न हो तो खाना पहले ही निबटा लें. बीच-बीच में कुछ चुगते रहना अभद्र लगता है. यूँ दो घंटे बिना खाए भी जीवित रहा ही जा सकता है. कोशिश करके देखिएगा, हो जाएगा.
सूचना-प्रसारण - घर के सभी सदस्यों को अपने ऑनलाइन जाने की सूचना पूर्व में ही दे दें. जिससे कि आप जहाँ बैठने वाले हैं, यदि वहाँ उनका कोई सामान पड़ा हो तो वे उसे पहले ही उठा सकें. उस समय उनका झांकना, इशारों से बात करना उचित नहीं लगता. मन मसोसकर रह जाना पड़ता है. ये लोग कार्यक्रम के बीच में अतिथि कलाकार सा भ्रम देते हैं.
ये चाँद सा रोशन चेहरा - ध्यान रहे कि आप जहाँ बैठें, वहाँ रौशनी पर्याप्त हो. अँधेरे में तीर नहीं मारना है हमें. एक सार्थक चर्चा हेतु आपकी मुस्कान और चाँद सा चेहरा दोनों का दिखना जरुरी है. बैकग्राउंड पर भी ध्यान दें और कैमरे का एंगल भी समझ लें.
न्यूनतम व्यवधान - बैठने के लिए ऐसे स्थान का चुनाव करें जहाँ न्यूनतम व्यवधान हो. पीछे झाड़ू-पोंछा मारते लोग या जमीन पर पछाड़े खाकर गिरता हुआ बच्चा हास्यास्पद दिखता है. ग़र ऐसी स्थिति उत्पन्न हो ही जाए तो उस समय तुरंत वीडियो ऑफ़ कर दें. यही वॉइस के साथ भी करना है. अन्यथा आपके बैकग्राउंड म्यूजिक का अंतर्राष्ट्रीय प्रसारण होने का भय बना रहेगा.
अब आप एक सफ़ल ऑनलाइन मीटिंग के लिए तैयार हैं.