Casanova छवि वाले इमरान ख़ान द्वारा टिंडर डेटिंग एप को बंद किया जाना लोगों को हैरानी में डाल रहा है. वैसे यह निर्णय आश्चर्यचकित होने से कहीं अधिक हास्य का भाव उत्पन्न कर रहा है. यूँ लग रहा, जैसे अब संस्कारी टिंडर की लॉन्चिंग का समय आ गया है.
इमरान के प्रशंसक जब उनको देखते हैं तो उन्हें उनके अफेयर और ग्लैमर से भरी दुनिया याद आती है. सत्ता पाकर वे ऐसे बदल जाएंगे, ये देखकर ही उनके प्रशंसकों में घोर निराशा है. उन्हें लग रहा जैसे उनकी भावनाओं के साथ धोखा हुआ. इमरान में ये नैतिकता पहले क्यों नहीं जागी थी?
कोई सोच भी नहीं सकता था कि वे पहली फ़ुर्सत में टिंडर को ही विदा कर देंगे. रोमांस का बादशाह, रोमांस पर ही प्रतिबन्ध लगा दे तो अजीब तो लगेगा न!
भई, वो एक अलग समय था जब इमरान देश-दुनिया की हसीनाओं के दिलों पर राज़ करते थे. उनके नाम पर ख़ून से बेशुमार ख़त भी लिखे गए होंगे. अब कुछेक ब्याह-व्याह करने के बाद इंसान को इतना ज्ञान तो ख़ुद ही आ जाता है कि इन सबमें कुछ न रखा! उस पर उम्र का तक़ाज़ा बची-खुची उम्मीदों पर भी पानी फेर देता है. आपको क्या लग रहा, उन्हें ख़ुद दिक्कत न होगी? पर देखिए उनकी महानता कि देश की ख़ातिर उन्होंने कितना कठोर निर्णय ले दिखाया. वैसे यह घोषणा करने के पूर्व, वे दर्पण में ख़ुद को देख ख़ूब हँसे होंगे. अब उनका दिल कुछ तूफ़ानी करने का किया तो कम-से-कम उन्हें नैतिक शिक्षा में पढ़े पाठ तो दोहराने दीजिए.
ग्लैमर की दुनिया से वर्षों पहले बाहर निकले इमरान जब राजनीति से जुड़े, उन्हें तब ही पता चल गया था कि अब इश्क़मिजाज़ी त्यागनी होगी! सोचिये, बिना कोई डेटिंग एप यूज़ किए कोई बंदा इतनी डिमांड में था! ग़र उस समय ये एप होते तो मैनेज करना ही मुश्किल हो जाता! तभी तो कहते हैं 'जो होता है अच्छे के लिए होता है' और 'जो नहीं होता वो और भी ज्यादा अच्छे के लिए होता है.' वैसे अब उनकी वो market value भी न रही. ये तो उन्हें भी पता है.
मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भी थोड़ा-बहुत ऐसा करना ही पड़ता है. अब ये अलग बात है कि अति उत्साह में बिना विचारे कर गए, तो अब अपने ही देश में आलोचना के शिकार हो रहे हैं.
ख़ैर! राजनीति के अपने क़ायदे-क़ानून होते हैं. यहाँ उन लोगों को ख़ुश भी तो करना पड़ता है जिनके हाथों ने आपकी कुर्सी को थाम रखा है. हमें तो इमरान मजबूर ज्यादा लग रहे. चेहरा तो देखो, कैसा मुरझा गया है! कोई गल ना! छवि अच्छी बननी चाहिए जी.
अब इमरान के लिए नैतिक मूल्य किस हद तक मायने रखते हैं ये तो , हम सबको पता ही है. बताइए, टिंडर के अनैतिक आचरण से उनका संस्कारी मन आहत होगा कि नहीं होगा! हो सकता है पहले उन्हें पता ही न हो कि टिंडर क्या है. हमारी तरह उन्हें भी ये कार्बन डेटिंग एप लगा हो. अब सच्चाई पता लगते ही उन्हें आघात तो लगना ही था. इसलिए उन्होंने तुरंत ही देशवासियों को कुसंगति से बचाने के लिए पाँच एप बंद करा दिए. अब लोगों के पास एक ही उपाय है कि वे अपने नेताओं के आचरण से प्रेरित हों और उनके गुणों को आत्मसात करें. ख़ुदा की रहमत है कि उनकी धार्मिक जीवन- यात्रा खुली क़िताब की तरह है.
उनकी इस मासूमियत और चिंता को देख "आय हाय मैं सदके जावां" कहने का दिल कर रहा. अरे, अंकल जी! जरा विवरण दीजिए कि "घृणा और नफ़रत का खेल कहाँ के संस्कार हैं?"
वो गोला बारूद के बोरे भी फिंकवा देते जो सबके दिलों में भरे जा रहे!
यह भी तनिक बताइए "वहाँ छुपे आतंकवादी किसके नैतिक मूल्यों का संरक्षण कर रहे हैं जी?"
लगे हाथों आपको एक सलाह दिए देते हैं, "भिया,
'टिंडर' बस डायरेक्ट बता रहा लेकिन टाइटल पर मत जाओ! इश्क़ तो सात तालों में भी पनप सकता है. बाक़ी सोशल साइट्स मर गई हैं क्या?"
- प्रीति 'अज्ञात'
#Humour
सुन्दर प्रस्तुति
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