गुरुवार, 9 मई 2019

लानत है!

अलवर में जो गैंगरेप की घटना हुई वो फिर वही सारे प्रश्न खड़े करती है जिनके उत्तर कभी नहीं मिलने वाले! ये घटनाएँ केवल हमारे आपके शहर के, राज्य के, देश के लिए ही शर्मनाक नहीं है ये मनुष्य होने का भी अपमान हैं. मानवता के मस्तक पर लगा कलंक है. ये वो दाग़ भी है जिसे हमारा न्याय-तंत्र कभी अपने दामन से छुड़ा नहीं सकता! सोचिये जरा, जब लोग पूछेंगे कि सामने तस्वीरें आ जाने के बाद भी आपके हाथ कौन बाँध देता है तो आप क्या जवाब देंगे? किसी की अस्मिता को तार-तार कर देने के बाद भी इन दरिंदों का जी नहीं भरता और वे उसे वायरल कर देते हैं. इन साइट्स और लोगों पर लगाम कौन कसेगा जो चंद लोगों के बीच हुई निकृष्टतम घटना और उसके क्रूरता भरे दृश्य पूरी दुनिया के सामने परोसने में एक पल को भी नहीं हिचकते! सोचिये, यदि यह स्त्री आपके परिवार की होती तो भी क्या न्याय की गुहार लगाते हुए आप उसकी तस्वीरें साझा करते? स्त्री होने की सजा आप कितनी बार उसे देंगे? इस एक जीवन में उसे और कितनी बार मरना होगा?

कड़वा सच यह है कि जब तक अपराधियों को तुरंत मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा तब तक कोई भी उम्मीद रखना व्यर्थ ही है! स्पष्ट है कि जिसमें वीडियो बनाने की हिम्मत है उसे किसी का डर नहीं! न समाज का, न पुलिस का, न न्याय-तंत्र का! देखने वाली बात यह है कि इनमें यह हिम्मत आती कहाँ से है? जब इस तरह के अपराधों की सूची निकाली जायेगी और अपराधियों को पूरे गाज़ेबाजे के साथ समाज के बीच ससम्मान बैठा देखा जाएगा तब इस देश की न्यायव्यवस्था को देखकर दुःख भी होगा और शर्मिंदगी भी. लेकिन तब भी अफ़सोस के अलावा और कुछ नहीं कर पायेंगे हम! अब भी क्या करे ले रहे हैं! खीजो, चीखो, चिल्लाओ..चुनावी मौसम में ये सब कौन सुनता-समझता है. आप तो बस ये मान लो कि सुरक्षा कमाल की है!

रेपिस्ट हो या तेज़ाब डालने वाले लोग....आख़िर इन्हें बचाता कौन है? चुनावों में इन विषयों पर बात करने से नेतागण बचते क्यों हैं? नागरिकों की सुरक्षा किसकी जिम्मेदारी है? अपराधियों को दंड देना किसका कर्त्तव्य है? क्या आप चाहते हैं कि देशवासी रोज रोते हुए आपसे अपनी सुरक्षा की भीख माँगें और आप चुनावी वायदों की आँच में उसे मक्खन की तरह अपनी वोट की रोटियों पे लपेटने के बाद ही कुछ वक्तव्य दें? आप इन घटनाओं का दर्द समझ पाते हैं क्या? या फिर ये चाहते हैं किअब अपने न्याय के फ़ैसले जनता अपने हाथों में ले ले?
और उस पर तेरी पार्टी, मेरी पार्टी की राजनीति! लानत है इन लोगों पर!
- प्रीति 'अज्ञात' 
#respectwomen #demandjustice #अलवर #अपराध #चुनाव #न्याय #रेप #एसिडअटैक 
तस्वीर: गूगल से साभार 

4 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १० मई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों की वजह से इंसानियत बार-बार शर्मसार होती है पर कोई कड़े कदम नहीं उठाए जाते। बेहद हृदयस्पर्शी... विचारणीय प्रस्तुति

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  3. सही कहा आपने प्रीति जी जब तक इन अपराधियों को मृत्युदण्ड देने का कानून नहीं बनेगा तब तक ये घिनोना अपराध नहीं रूकेगा। एक दो को मौत की सजा तुरंत सुना दिया जाता तो ये नपुंसक यकीनन डरते। सच ,शर्म तो तब आती हैं जब इंसानियत से नीचे गिरते हुए हम सब उस वीडियो को वायरल करते हैं। हर नारी के अंतर्मन के पीड़ा और क्रोध को वया करता हैं ये आप लेख। सादर स्नेह

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  4. ज्वलंत समस्या ज्वलंत और शर्मनाक प्रश्न और ऊत्तर नदारद
    निशब्द ।

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