सोमवार, 11 नवंबर 2019

बुलबुल का ग़म और परेशान हम!



एक बात मुझे आज तक समझ नहीं आई कि ये चक्रवात वग़ैरह को identify करने के लिए जो नाम रखे जाते हैं, उसे तय कौन करता है? पंडित जी को बुलाकर नामकरण होता है या कि जो भी जी में आया बोल दिया!
मैं सुबह से बुलबुल चक्रवात का नाम सुनकर परेशान हूँ। मतलब बुलबुल ने आपका क्या बिगाड़ा है? अच्छे-ख़ासे, प्यारे पक्षी को आप कुछ भी कह दें तो कैसे चलेगा भई! जहाँ तक चक्रवात की बात है तो उसमें आसमान से पुष्प वर्षा तो होती नहीं है न! तो आप ऐसी बदमाश टाइप आपदा को सांभा कहें, गब्बर कहें, भूत, हौआ, ठांय-ठांय कहें। अठैन कहें, नासपीटा कहें, घनचक्कर कहें। अजी, कोई भी ख़राब-सा नाम चुन लें... पर प्लीज बुलबुल न कहें। किसी प्यारे पक्षी को बदनामी का मुकुट पहनाना बिल्कुल अच्छी बात नहीं है। बुलबुल का काम है गुनगुनाना। उसे हम सबकी बगिया में गुनगुनाते रहने दीजिये।

आज सुबह इसी बुलबुल को तार पर बैठे देखते ही मुझे चक्रवात याद आया। ये तो एकदम से बदतमीज़ी भरी एवं कोमल भावनाओं को बेमतलब आहत करने वाली बात हो गई है जी! आगे से ध्यान रखना मौसम विभाग जी के नामकरण वाले पंडिज्जी! सोचो, आँधी का नाम बज़रबट्टू  होता और बाढ़ का खीर, तो कैसा लगता!

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि cyclone के नाम नीलम, निशा, रश्मि, भोला भी रखे जा चुके हैं। हैलो, भोला का अर्थ पता तो है न आपको? cyclone भोला नहीं, बम का गोला होता है जी! अगर वो इतना ही भोला था तो इग्नोर मारते, देश से डिस्कस काहे किया!

आँधी/अंधड़ नाम सुनते ही आँखों के सामने उड़ते हुए टीनशेड, धड़ाम धुड़ुम की जोरदार आवाजें, इमारतों पर सहमे बैठे पक्षी और दौड़ दौड़कर सुबह की चमचमाती डस्टिंग को याद कर घर की सारी खिड़कियों को बंद करती, बड़बड़ाती स्त्री की तस्वीर तैर जाती है। आँधी हमारे सामने नुक़सान के साथ-साथ धूल से सने चेहरे, रूखे सूखे बाल और आंखों में किरकिरी से आँख मीड़ता मनुष्य भी छोड़ जाती है।तूफान (फिल्म नहीं) का तो मतलब ही है तबाही। इधर किसी ने नाम लिया और उधर तहस नहस की तस्वीर दिखने लगती है। बाढ़ शब्द भी बहते सामान, डूबते गाँव और नष्ट जीवन का खाका खींच देता हैं। सुनामी, विध्वंस का अट्टहास करता लगता है। ज्वालामुखी, हजारों डिग्री पर खदबदाते लावे की मुँह उगलती भयभीत कहानी कह देता है। ऐसे में शेक्सपीयर चचा की यह बात कि 'नाम में क्या रखा है!', अपन को ज़रा हज़म नहीं होती!

और हाँ! कृपया भूलियेगा मत Meteorological Department वाले सर जी/मैडम जी कि आज बुलबुल उदास है। ये वही बुलबुल है जिसके सामने उदास प्रेमियों ने टसुए भर-भर 'बुलबुल, मेरे बता क्या है मेरी ख़ता' गाना गाकर आरारारूआरारारू किया है। 
- © प्रीति 'अज्ञात'
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