हर रात जब हम नींद की आगोश में होते हैं तो ये मानकर चलते हैं कि अगली सुबह ख़ूबसूरत ही होगी. प्रातःकालीन दिनचर्या से निबट अचानक आपकी नज़र एक मैसेज पर जाती है और उसी वक़्त सुबह की सारी रोशनी बेमानी हो जाती है जब आपको पता चलता है कि आपका प्रिय कलाकार इस दुनिया में नहीं रहा! पहली प्रतिक्रिया इस ख़बर को झूठा मान लेना चाहती है लेकिन फिर भी आप सारी दुआओं को दोहराते हुए टीवी की तरफ दौड़ पड़ते हैं और पता चलता है कि हम सबका दुलारा कलाकार इरफ़ान खान अब इस दुनिया को अलविदा कह चुका है.
मुझे सदैव ही इस बात का अफ़सोस होता रहा है कि तीन खानों और घरानों की भीड़ में राहुल बोस, मनोज बाजपेई, इरफ़ान ख़ान और नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी सरीखे कई बेहतरीन कलाकारों को उनके हिस्से की उतनी ज़मीं नहीं मिलती जिसके ये सदैव हक़दार रहे हैं. लेकिन हर बार ही मैंने यह कह अपने दिल को तसल्ली भी दी कि हीरा कहीं भी रहे...इससे उसकी श्रेष्ठता पर असर नहीं पड़ता! वही एक हीरा आज हमसे जुदा हो गया, यह बात मन अब भी मानने को तैयार नहीं.
इरफ़ान के अभिनय की प्रशंसा करना भी जैसे सूरज को दीया दिखाना है. उनकी आँखें ही आधा अभिनय कर जाती थीं. आँखें ही बोलती थीं, आँखें ही हँसती थीं और आँखें ही दर्द और दुःख की पूरी किताब जैसे खोलकर रख देती थीं. उनके अभिनय की रेंज पकड़ पाना हर किसी के बस की बात नहीं. हास्य जितनी सहजता से निभा जाते थे, आम आदमी के जीवन संघर्ष को भी उतनी ही संजीदगी से बयां किया है उन्होंने. डायलॉग बोलने का उनका अपना एक निराला अंदाज था. हर तरह की भूमिका को पूरे दिलोजान और ईमानदारी से निभाया है, इरफ़ान ने. उनकी हर फिल्म ऐसी है जिसे देखकर लगता है कि ये सिर्फ उन्हें ही ध्यान में रख लिखी गई है. ऐसे अद्भुत अभिनेता थे वो.
लेकिन इन सबसे इतर जो एक सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है वो है इरफ़ान का अपना व्यक्तित्त्व, जिसने न जाने कितने लोगों को प्रभावित और प्रेरित किया होगा. मार्च 2018 में लिखी उनकी वह पोस्ट याद आती है जिसमें उन्होंने स्वयं को न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर होने की ख़बर बेहद भावुक अंदाज़ में दी थी और उनके करोड़ों प्रशंसक घबरा गए थे. लेकिन यकीन भी था कि हमारा फाइटर इरफ़ान वापिस आएगा, अपने उसी संवेदनशीलता से भरे कम शब्दों और हँसती आँखों के साथ. इरफ़ान ने हमारा ये विश्वास नहीं तोडा और वे लौट आये थे. अब जबकि हम उस तरफ से निश्चिन्त हो 'अंग्रेज़ी मीडियम' को देख खुश हो ही रहे थे कि अचानक हमारा प्रिय अभिनेता हमारे बीच से निकल आसमान पर जा तारा बन बैठा.
कब से उसको ढूंढता हूँ/ भीगी पलकों से यहाँ/ अब न जाने वो कहाँ है/था जो मेरा आशियाँ
वक्त के कितने निशाँ है/ ज़र्रे ज़र्रे में यहाँ/ दोस्तों के साथ के पल/ कुछ हसीं कुछ ग़मज़दा
सब हुआ अब तो फना/ बस रहा बाकी धुंआ
सब हुआ अब तो फना/ बस रहा बाकी धुंआ
बिल्लू बारबर के इस गीत के साथ मैं अपने प्रिय कलाकार को विदाई देती हूँ जो हम सबके बीच सदा रहेगा लेकिन ईश्वर से नाराज़गी अवश्य हो रही है कि वो अच्छे लोगों को सदा अपने पास क्यों बुला लेता है! दुःख में भर जब ये बात मैंने अपने मित्र से साझा की तो उनका जो जवाब मिला, उससे मेरी शिकायत कुछ कम जरुर हुई.
मित्र ने कहा कि "इसका दूसरा पक्ष देखो, इरफ़ान को बनाया भी तो भगवान ने ही था न! और हमारे पास भेजा भी."
तो मैं इस बात का शुक्रिया अदा जरुर करना चाहूंगी कि ईश्वर ने हमें इरफ़ान खान से मिलवाया और अच्छे इंसानों की पहचान कराई. अब शायद उन्हें उनकी माँ से मिलाने ले गए होंगे. आप जहाँ भी हैं इरफ़ान वहां जमकर रौनकें होंगीं. खुश रहिये.
आपको भावभीनी विदाई और खूब सारा स्नेह, शुक्रिया कि आप इस दुनिया में आये.
- प्रीति 'अज्ञात'
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भावभीनी श्रधांजलि
जवाब देंहटाएंमेरे भी बहुत ही प्रिय कलाकार ! उनके यूँ चले जाने की खबर पर सब कुछ जानते समझते हुए भी विश्वास करना नहीं चाहती ! लेकिन मेरे चाहने न चाहने से हकीकत बदल तो नहीं जायेगी ! भावभीनी श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंभावभीनी श्रद्धांजलि
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