रविवार, 13 नवंबर 2022

खेल भावना

जैसे कम अंक आने पर, कुटाई का खतरा महसूस होते ही बच्चा झट से अपने मम्मी-पापा को बताता है कि "वो शर्मा अंकल जी के गुड्डू के मार्क्स तो मुझसे भी कम हैं।" फिलहाल ठीक वैसे ही पाकिस्तान वाले अपना मन बहला रहे। 

हम भारतवासी फाइनल नहीं खेल सके तो क्या हुआ, पर ठीक इसी भाव ने ही हमारे सदमे को भी कम कर दिया है। हमारी हार, दुख और जलन पर जैसे बर्फ़ के ठंडे छींटे आ गिरे हैं कि "हीहीही पाकिस्तान भी तो नहीं जीता न! हुँह बड़े आए थे फाइनल वाले!" 😁

पाकिस्तान वाले भी अपनी हार के ग़म से कहीं अधिक इस बात से प्रसन्न होंगे कि भारत भी तो  नहीं जीता। इसी एक बात के बल पर, वो हारने के बाद भी अपने देश में अकड़कर चल सकेंगे और जनता की गालियों से बचते रहेंगे। शायद फूलमालाओं से स्वागत भी हो जाए। 😜
पुनः ठीक इसी बात ने ही भारतीयों को भी राहत दी कि कम-से-कम पाकिस्तान से तो नहीं हारे! हमारे खिलाड़ी भी आज मन में सोच रहे होंगे कि "भिया, अब तो..स्वागत नहीं करोगे हमारा!" 😎

इसी बीच इंग्लैंड वाले यह सोच हलकान हुए जा रहे कि उन्हें इतनी जबरदस्त बधाइयाँ क्यों मिल रहीं? पहले तो भारत उनसे हारकर दुखी था लेकिन अब उनकी जीत से प्रसन्न है! पाकिस्तान वाले भी हारने के बाद इतने कम दुखी क्यों लग रहे! 😕
तभी कुछ लोग फोन पर बताएंगे कि यही तो हमारी सच्ची 'खेल भावना' है। 
इस नवीन जानकारी को पाते ही भारत-पाकिस्तान अपनी महानता पर थोड़ा गर्व से इतराएंगे। लेकिन मंद मंद मुस्काये बिना भी न रह सकेंगे। लज्जा का यहाँ कोई स्कोप नहीं है। 😌

कल प्रमुखता से कुछ अखबारों में छपेगा कि कैसे सुनक जी भारत के लिए शुभ हैं। उधर वे (ऋषि सुनक जी) इंग्लैंड की टीम को बधाई देते हुए मन में एक बार तो सोच ही लेंगे कि "बेटा! जीत का असली हीरो तो मैं हूँ! बधाई की सौगात.. इधर भी है, उधर भी!" 😎
उफ़! ये मुझे चक्कर क्यों आ रहे! 😦
- प्रीति अज्ञात 

3 टिप्‍पणियां:

  1. हमारी हार, दुख और जलन पर जैसे बर्फ़ के ठंडे छींटे आ गिरे हैं कि "हीहीही पाकिस्तान भी तो नहीं जीता न! हुँह बड़े आए थे फाइनल वाले!" 😁

    वाह!!!
    बहुत सटीक
    अब जब लज्जा का यहाँ कोई स्कोप ही नहीं है। 😌 तो सब ठीक ही है 😏सुना है ऋषि सुनक भी अपने ही हैं,🤔
    फिलहाल आप अपने चक्कर सम्भालिए,
    वैसे मन की बात कमाल की लिखी है आपने 👌👌👏👏

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