सोमवार, 21 नवंबर 2022

तबस्सुम की मुस्कान हमारे साथ है

तबस्सुम के बारे में सोचती हूँ तो एक हँसता-खिलखिलाता चेहरा सामने आ खड़ा होता है। हँसी ऐसी कि जैसे सर्दियों की सुबह में धरती पर महकता हरसिंगार बिखरा हो। आवाज में इतनी मधुरता कि जैसे मीठे पानी का कोई झरना कलकल बहता ही जा रहा हो। उनकी तस्वीर भर भी देख लें तो एक उदास दिल को सुकून आ जाए, निराश हृदय में आस के तमाम दीप जल उठें! अब ऐसी शख्सियत का नाम 'तबस्सुम' न हो तो और क्या हो! मुस्कान की मूरत उन सी ही तो होती होगी न!  

वे नाम की ही नहीं, टीवी के दर्शकों के होंठों की भी तबस्सुम थीं। यहाँ 'थीं' लिखना खटक रहा है पर नियति पर किसका बस चला है! उसे तो सिर झुकाकर स्वीकार करना ही होगा। सबके दिलों में फूल खिलाने वाली तबस्सुम का दिल 18 नवम्बर 2022 की शाम अपने धड़कने की जिम्मेदारी निभाने से चूक गया और एक बुरी खबर उनके प्रशंसकों के हिस्से आ पड़ी। तबस्सुम नहीं रहीं।

बेबी तबस्सुम के नाम से फ़िल्मी दुनिया में अपनी शुरुआत करने वाली तबस्सुम ने कई भूमिकाओं को निभाया लेकिन भारतीय दूरदर्शन के पहले टॉक शो 'फूल खिले हैं गुलशन गुलशन' की होस्ट बनकर वे हर दिल अजीज बन गईं। उनके बोलने का अंदाज़ तो निराला था ही लेकिन प्रस्तुति में जो मासूमियत और किसी बच्चे सी जो निश्छलता छलकती थी, वही बात उनके कार्यक्रम को जीवंत बनाती थी। 21 वर्षों तक इस कार्यक्रम का प्रसारित होना अपने-आप में एक मिसाल है। वे 15 वर्षोंतक महिलाओं की पत्रिका गृहलक्ष्मी की संपादक भी रहीं। उन्होंने कुछ पुस्तकें भी लिखीं।‘तबस्सुम टॉकीज’ नाम से उनका यू ट्यूब चैनल भी था।  

जीते-जी हम किसी के बारे में उसके काम से ही जानते हैं। लेकिन उसके चले जाने के बाद उसके जीवन से जुड़ी कुछ अन्य बातें भी पता चलती हैं। जैसे कि मैंने आज ही जाना कि उनका आधिकारिक नाम किरण बाला सचदेव था लेकिन इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है। हाँ, इसके पीछे की कहानी बड़ी ही खूबसूरत है। तबस्सुम के पिता अयोध्यानाथ सचदेव स्वतंत्रता सेनानी थे तथा उनकी माता असगरी बेगम भी स्वतंत्रता सेनानी एवं लेखक थीं। तबस्सुम के जन्म के बाद, उनके पिता की भावनाओं का ध्यान रखते हुए असगरी बेगम जी ने अपनी बेटी का नाम किरण बाला रखना तय किया तो वहीं माँ की भावनाओं के मद्देनज़र पिता को 'तबस्सुम' नाम रखना सुहाया। तबस्सुम का विवाह, अभिनेता अरुण गोविल के बड़े भाई विजय गोविल से हुआ था। लेकिन 'तबस्सुम' नाम ही उनका पूरा परिचय बता देने के लिए पर्याप्त है। 

अब जबकि एक ज़िंदादिल शख्सियत ने इस दुनिया से अचानक ही रुखसती ले ली है, हमें यक़ीन है कि उनके चाहने वालों के  दिलों में उनकी मनमोहक मुस्कान सदा ज़िंदा रहेगी।

- प्रीति अज्ञात



3 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-11-22} को "कोई अब न रहे उदास"(चर्चा अंक-4618) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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  2. बेहतरीन रचना वास्तव में ऐसे लोग विरले ही होते हैं जिनकी मुस्कान से औरों के अधरों पर भी मुस्कान खिल उठती है।

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