सोमवार, 19 फ़रवरी 2018

इतिहास हमेशा ख़ुद को दोहराता है

बाल्यकाल से ही हम गाने सुनने के बहुत शौक़ीन रहे हैं. इतना मन लगाकर सुनते थे कि गीतों के बोल भी एकदम सही याद रहते थे. गायिका तो सपने में भी नहीं हैं पर कोई गलत बोल या उच्चारण के साथ गा रहा हो तो हम भीतर तक ज़बरदस्त आहत हो जाते हैं. पर फ़तवे के कारण चुप्प रहना पड़ता है जी! हमको क्या....गाओ गलत! श्राप लगेगा तुमको क्योंकि तुम्हारी आने वाली पीढ़ियाँ भी यही दोहरायेंगीं. बस और क्या!

हम तो सुरैया, तलत महमूद, शमशाद बेग़म, गीता दत्त, मुकेश, रफ़ी, किशोर, सोनू निगम तक चलकर अरिजीत पर ठिठके और अब फ़िलहाल पुरानी तरफ़ ही लौट रहे हैं. वैसे मूड के हिसाब से दलेर मेहंदी और मीका को सुनने में भी ख़ूब मज़ा आता है. पर एक बात full & final है कि अगर जगजीत सिंह नहीं होते तो फिर हमारा इस पावन धरा पर अवतरण और इन कर्णों की उपस्थिति व्यर्थ ही थी. यद्यपि चश्मा इन पर ही टिका है.

अपना अंग्रेज़ी गानों के साथ ठीक वही नाता है जो इस देश में सरकार और न्याय-व्यवस्था का रहा है। भैया, कोशिश तो बहुत करते हैं पर हो नहीं पाता!
ये गाने जरा कम समझ आते हैं, सो जिसे महसूस ही न कर सको तो सुनने का क्या फ़ायदा! पूरे समय दिमाग़ गूगल की तरह घटिया ट्रांसलेट करके देता है. सच, गूगल जी, बुरा मत मानियो पर आपके अजीबोग़रीब अनुवाद हमें अत्यधिक दुःख देते हैं. भय है, कहीं इस वज़ह से हम तीव्र मस्तिष्क विस्फ़ोट के शिकार न हो जाएँ! इसलिए ऐसा करो, हमको तत्काल जॉब पे रख लो. 
हाँ, Titanic का Theme song (My Heart Will Go On) बेहद पसंद है और मुझे लगता है कि ये आंग्ल भाषा का अब तक का सबसे प्यारा रोमांटिक गीत है. यहाँ यह बात बताना भी आवश्यक है कि यही वह इकलौता अंग्रेज़ी गीत है जिसके बोल हमें पहली बार में ही समझ आ गए थे. लगता है इसकी रचना हिन्दी माध्यम में पढ़े लोगों को ध्यान में रखकर की गई होगी. बच्चे जब छोटे थे तब उन्हें ख़ुश करने के चक्कर में Lion King का Hakuna Matata, Aqua का Barbie Girl और Shakira का Waka Waka (This Time for Africa) इतना सुना कि फिर बाद में beats के साथ अपने-आप ही मुंडी हिलने लगती थी. अच्छा हुआ, जुरासिक पार्क में कोई गीत नहीं था, वरना उस पर झूमती खोपड़ी कुछ यूँ लगती जैसे कि अपने प्राणप्रिय देश में आत्मा/ देवी माँ के प्रवेश करने पर भयावह रंगारंग नृत्य एवं संगीत कार्यक्रम हुआ करते हैं. मुझे डरपोक बनाने में इन भुतहा ध्वनियों का सम्पूर्ण एवं अभूतपूर्व योगदान रहा है. वो कहानियाँ फिर कभी..... 

अब ये बताओ कि बचपन में समाचार इतने बुरे और नीरस क्यों लगते हैं? मुए तीनों टाइम चलते थे. वो 'जल बिन मछली' की तरह भीषण तड़पन का समय होता था, हम अपना दायाँ हाथ प्यारे मरफ़ी के कान के पास रख इतराते हुए पूछते, "पापा, स्टेशन बदल दें?" पापा जैसे ही कहते, "रुको ..हैडलाइन सुनने दो" ...क़सम से उस पल ऐसा लगता कि दो मिनट और सुना तो अभी आकस्मिक हृदयाघात से मौत आ जाएगी! भौंहे ऊपर चढ़ा जो अथाह वेदना भरा दुखियारा लुक देते थे वो एक दिन न्यूज़ सुनते समय जब हमारे बच्चों ने हमें return gift में दिया तो दरद समझ आया. 
MORAL: इतिहास हमेशा ख़ुद को दोहराता है. गया लुक लौट के आता ही आता है. 
* कई बार अपठित गद्यांश को पूरा पढ़ने की जरुरत नहीं होती. कथा का संदेश अंतिम पंक्तियों में ही मिल जाता है. हीहीही
समाचार समाप्त हुए!  
- प्रीति 'अज्ञात'

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर सटीक लेख...
    रिटर्न गिफ्ट....
    वाह!!!

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  2. वाह!!मन आनंदित हो गया आपका लेख पढकर । बहुत सुंंदर ।

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  3. हँसते मुस्कुराते हुए आपने बता दिया कि बहू भी सास बनेगी । सहज स्वाभाविक लेखन ।नमन

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