'टेडी' नाम सुनते ही एक नरम, मुलायम, गुदगुदे फ़र वाले खिलौने की याद आ जाती है, जिसे कभी खिलौना माना ही नहीं गया. अपने बचपन और उसके बाद के समय में भी, कभी किसी बच्चे को जमीन पर पैर पटकते हुए यह कहते नहीं पाया कि "ऊँऊँआआआं, मम्मीईईईई (इस अवस्था में हमारे नौनिहालों का गला प्राय: फटे बांस की तरह भरभराने लगता है) मुझे टेडी बीयर वाला खिलौना दिला दो!" वे तो बड़े प्यार से माँ का आँचल थाम, गोल-गोल आँखें मटकाते हुए बोलेंगे, "मम्मा, टेडी बीयर ले लें, प्लीईईईईज". गूढ़ चिंतन एवं सामाजिक दृश्यों के आधार पर यह निष्कर्ष भी निकाला गया है कि बच्चों से कहीं अधिक युवतियाँ एवं माताएँ इस पर वारी जाती हैं तथा कई स्थानों पर उन्हें इस निर्जीव, निश्छल, मुलायम भालू को मेरा कूचीकू, कुचु-पुचु, गुच्चू जैसे निरर्थक नामों से भी पुकारते हुए पाया गया है.
इस टेडी से आप बात कर सकते हैं, उसका तकिया बना सकते हैं और यदि आपका लालन-पालन ठीक से नहीं किया गया है तो आप दुष्टतावश इसकी एक आँख (बटन) निकाल उसे काना बनाने से भी पीछे नहीं हटते.
मज़ेदार बात यह है कि चाहे बंदर, कुत्ता, बिल्ली, उल्लू, पेंग्विन या चमगादड़ ही क्यों न हो पर सॉफ्ट टॉयज को हम 'टेडी बीयर' कहकर ही सभ्य एवं गौरवान्वित महसूस करते हैं. इसी प्रथा को मद्देनज़र रखते हुए मिनरल वाटर को बिसलेरी और सॉफ्ट ड्रिंक्स को कोकाकोला पुकारने की परंपरा भी विकसित हो गई थी. यह भी संभव है कि ये दोनों टेडी बीयर के प्रेरणास्त्रोत रहे हों! कारण जो भी पर साब जी, यह विकासशील LED के जमाने में बजाज बल्ब सरीख़ी बात लगती है. याद है न -
"जब मैं छोटा लड़का था, बड़ी शरारत करता था
मेरी चोरी पकड़ी जाती, जब रोशन होता बजाज
अब मैं बिलकुल बूढ़ा हूँ, गोली खाकर जीता हूँ
लेकिन आज भी घर के अंदर रोशनी देता बजाज"
अब रोशन तो ऋतिक हो गए और बाक़ी का जानने की हमने कोशिश ही नहीं की!
चलो, टेडी से कूची-पूची करके पूछते हैं, "बताओ, न तुम्हारा नाम टेडी किसने रखा?"
एक बात और नहीं समझ आई कि गिफ्ट की अपेक्षा हमेशा लड़कों से ही क्यों की जाती है? इस बार आप ही (बोले तो गर्ल्स) देकर देखो न! क़सम से उनका दिमाग़ झनझना जाएगा. बेचारे कह भी न पाएँगे कि काहे दिया! उसके बाद आग में घी डालते हुए 'हैप्पी टेडी डे' भी याद से बोल दियो!
-प्रीति 'अज्ञात'
#Teddy_day #वैलेंटाइन
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