अंततः टिकटॉक सहित 59 एप्प को बैन करके भारत सरकार ने चीन से प्रतिशोध का क्रांतिकारी बिगुल फूँक ही दिया. यूँ सूची लम्बी है पर चर्चा का केंद्र भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय टिकटॉक ही बना हुआ है.
सरकार के इस आवश्यक क़दम से देश भर के उन सभी लोगों में अगाध ख़ुशी की लहर दौड़ गई है जो इस आततायी एप्प से एक लम्बे समय से त्रस्त थे. वहीं एक ही झटके में लाखों लोगों की अंदरूनी कला बेमौत मारी गई. लिप-सिंक, कॉमेडी, नृत्य और कुछ भी ऊलजलूल हरक़तों को दुनिया भर में पहुँचाने वाले इस एप्प का एक अलग ही स्वैग था. वे लोग जिन्हें अपनी अद्भुत अभिनय क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए उचित मंच नहीं मिला था, टिकटॉक महाराज ही उनकी डूबती नैया का खिवैया बन अवतरित हुए थे. वे महानुभाव, जिनकी प्रतिभा उनके अपनों ने भी न समझी, श्री टिकटॉक जी ने उनके जीवन में भरोसे का साथ इंस्टॉल कर दिया था. कई भौंडे एवं अश्लील वीडियो बनाने वालों को अपनी कुंठा बाहर निकालने का सुखद अवसर भी इसी एप्प ने दिया. अचानक ही इसके काल कवलित हो जाने पर लाखों युवाओं का दिल तो टूटा ही, साथ ही इकलौता रोज़गार भी छूट गया. फ़िलहाल उनके आहत मन के लिए हमारी इत्तू सी हार्दिक संवेदनाएँ भले ही उमड़ जाएँ पर जो आला दर्ज़े की ख़ुशी नसीब हुई है वह इन संवेदनाओं पर यक़ीनी तौर से अत्यधिक भारी ही है.
मने हद कर रखी थी. सोशल मीडिया पर जब देखो, तब मुँह उठाये चले आते थे. देखा जाए तो यह टेक्निकल अतिक्रमण ही था कि बेटा! हमसे बचकर कहाँ जाओगे! हाय! अब कहीं जाकर राहत मिली है.
एक प्रश्न भी उठ रहा है कि टिकटॉक द्वारा जो 30 करोड़ PMCares Fund में दिए गए थे, उनका क्या होगा? ख़ैर! नैतिक मूल्यों के आधार पर सरकार क्या करेगी, यह तो उसे ही तय करना है. वैसे सामान्य तौर पर जब रिश्ते टूटते हैं तो अँगूठी भी उठाकर सामने वाले के मुँह पर मार दी जाती है. हम लोग तो यूँ भी दुश्मनों को मुँहतोड़ जवाब देने में कट्टर विश्वास रखते हैं. तो उस हिसाब से किसी का ऋण काहे रखा जाए? अब जो न लौटाया तो समझ जाइए कि हम सब के समक्ष, आपदा को अवसर में बदलने का सैद्धांतिक एवं प्रयोगात्मक उदाहरण प्रस्तुत किया गया है. यूँ भी कूटनीति में भावनाओं का कोई स्थान नहीं होता! सारा जोर 'कूटने' पर दिया जाता है. इस बार हमने चीन की डिजिटल ठुकाई करने की नींव रख दी है.
आपको याद होगा कि बीते वर्ष मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर कुछ समय के लिए टिकटॉक पर बैन लगा था, लेकिन आदेश हटते ही इस एप्प ने दोबारा एंट्री ले ली थी. फ़िलहाल इसे गूगल प्ले-स्टोर और एप्पल स्टोर से हटा दिया गया है. उम्मीद करते हैं कि इस बार का हमारा ये 'डिजिटल अटैक' स्थायी रहेगा.
आज कुछ यूज़र्स बेहद बेचैन हैं. मल्टीप्लेक्स बंद हैं. Covid-19 के भय से बाहर निकलना हो नहीं रहा. टीवी पुराने व्यंजनों को ही लगातार परोस रहा है. ले देकर मनोरंजन के साधनों में ये टिक टॉक ही इन लाखों लोगों का दिल लगाए हुए था. बताइये, इन मासूमों का अब क्या होगा, हज़ारों लाइक्स, कमेंट जिनके जीवन के सार्थक होने की महत्ता प्रतिपादित करते आये थे. इन्होंने न जाने कितने GB की मेहनत और लगन से अपने निठल्लेपन को एक मुक़ाम तक पहुँचाया था.
देशभर को बधाई देने के साथ-साथ मेरा इन दुखियारों से बस इतना ही कहना है कि अँधेरी रात के बाद एक जगमग सुबह जरूर होती है. देखना, आज ठीक 4 बजे सरकारी तरकश में से एक सम्पूर्ण स्वदेशी एप्प जरूर निकलेगा. न निकले तब भी कम-से-कम प्रेरणा पाकर ही अब आत्मनिर्भर बनकर तो दिखाना ही होगा हम सबको. राष्ट्रहित के लिए सब कुछ क़ुर्बान, ये एप्प वेप्प फ़ालतू ही होते हैं जी, हटाओ सबको.
- प्रीति 'अज्ञात' 30 June 2020
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यह तीस करोड़ की राशि 'टिक-टॉक' ने हमारी जेब से ही निकालकर हमें दी थी न!
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