ये मनुष्य की बराबरी भले ही न कर सकते हों पर क्या इन निरीह, बेज़ुबान पक्षियों के प्रति इतना संवेदनहीन होकर कुछ ज़्यादती नहीं हो रही? हम मनुष्य भी तो इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं लेकिन अपने लिए हमने कब और कहां ऐसा फ़ैसला कर पाया है. हमने ख़ुद की जान बचाने के लिए एड़ी चोटी एक कर दी. दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने एक वर्ष जुटकर इसकी वैक्सीन बना ली है.
तमाम उपाय अपनाकर हमने किया है न इंतज़ार, इसके बनने तक का और अभी इसके लगने की प्रतीक्षा भी कर ही रहे हैं. अपने लिए कितने धैर्यवान और संवेदनशील हो जाते हैं न हम. अब ये 'बर्ड फ्लू' कोई कोरोना की तरह अचानक पैदा हुई महामारी तो है नहीं, जिससे बचाव और रोकथाम के उपाय संभव न हों. दो दशक से देखने में आ रही है और बार-बार आ रही है तो क्या इससे बचने का बस यही एक उपाय रह गया है कि जैसे ही ये बीमारी दस्तक़ दे, पक्षियों की एक खेप मार दी जाए.
मैं समझ नहीं पा रही हूं कि कुछेक पक्षियों में संक्रमण की आशंका के चलते, सभी पक्षियों को मार देना कहां तक उचित है? जबकि ये तय है कि उनमें से कई स्वस्थ होंगे ही. हम मनुष्य हैं, सबसे समझदार और बुद्धिमान प्राणी. इसीलिए हमको स्वतः ही यह अधिकार भी मिल गया है कि इस प्रकृति से जुड़ी हर सजीव-निर्जीव वस्तुओं के लिए निर्णय ले सकें. पर यह सोचकर भी मेरी रूह कांप जती है कि ग़र हमसे ऊपर भी कोई शक्तिशाली प्रजाति होती तो? क्योंकि फिर वह प्रजाति भी हम कोरोना पीड़ित और स्वस्थ मनुष्यों को इसी क्रूर दृष्टि से देखती और एक साथ मानव जाति का ख़ात्मा कर देती.
शुक्र मनाइए कि हम सब बच गए. पर दुर्भाग्य से ये पक्षी, उतने भाग्यशाली नहीं हैं. अगली बार जब आप किसी चिड़ियाघर में जाएं तो वहां के पशु-पक्षियों को जी भरकर देख लीजिए और उन्हें सौ गुना स्नेह भी दीजिए. क्या पता, अगली बार किसी बीमारी के चलते इनमें से कोई बलि का बकरा बन जाए और फिर आप उससे दोबारा कभी न मिल सकें.अपने पालतू जानवरों को भी सीने से लगाकर, ख़ूब दुलार दीजिए उन्हें.
आज इन पक्षियों की बीमारी है, कल को कुत्ते, बिल्लियों में भी कोई बीमारी हो सकती है. सोचकर ही कलेजा कांप उठेगा, अगर किसी बीमारी के कारण, कोई हमारे पेट्स को ख़त्म कर देने की बात झूठे ही कह दे तो? क्योंकि ये पालतू जानवर नहीं, हमारे घर के सदस्य हैं. जीवन का बेहद प्यारा और महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
फ़िलहाल तो यही कहूंगी कि हो सके तो उन पक्षियों को जी भरकर देख लीजिये, जिन्हें आप रोज प्यार से दाना खिलाते हैं. इनकी उस मधुर आवाज को रिकॉर्ड कर लीजिये जो आपकी सुबह में संगीत घोलती है, इन मासूमों की तस्वीर भी संजोकर रखिये जो आपकी दिनचर्या का सबसे खूबसूरत हिस्सा बन चुके हैं. क्या पता. कल को, वे हों न हों!
- प्रीति 'अज्ञात'
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मानव सबसे खतरनाक प्राणी है जो निरीह प्राणियों को भी नहीं बख्शता| बहुत मर्मान्तक लगता है , जब निरपराध जानवरों को आशंका की वजह से कपडे की तरह निचोड़कर निर्दयता से मारा जाता है |
जवाब देंहटाएंबहुत दुर्भाग्यपूर्ण!!!
जवाब देंहटाएंदुखद।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज शनिवार 16 जनवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,
चिंतनीय विमर्श ।
जवाब देंहटाएंसटीक प्रस्तुति
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