शुक्रवार, 18 अप्रैल 2014

:(

सत्य अक़्सर ही कोने में छुपा अकेला सूबकता है, लोग झूठ की तलाश में व्यस्त जो रहते हैं ! सत्य कायर तो नहीं है ,ये ज़रूरत से कुछ ज़्यादा ही आशावादी हैं , तभी तो चुप हो बैठ जाता है, और झूठ की प्रतिरोधक-क्षमता इससे कहीं ज़्यादा दिखाई पड़ती है. जो दिखता है, उसे ही दुनिया भी सच मान लेती है, क्योंकि असली मज़ा तो उन्हें झूठ ही देता है. 
एक जीवन सरल सा.......ज़िंदगी बेहद मुश्किल !

प्रीति 'अज्ञात' —

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