जो भी कुकिंग में रूचि रखता होगा और इससे सम्बंधित बातों में उसे दिलचस्पी होगी, वह सेलिब्रिटी शेफ़ विकास खन्ना को नहीं जाने, ऐसा हो ही नहीं सकता! जमीन से उठकर बड़े हो जाने वाले तो बहुत लोग होते हैं लेकिन उसके बाद भी जो अपनी जड़ों को नहीं भूलता और अहंकार जिसे छू तक न गया हो, ऐसे मुट्ठी भर ही रह जाते हैं. विकास का नाम इस सूची में सबसे ऊपर है. जो देश से दूर रहकर भी देशवासियों का पूरा ख़्याल रख रहे हैं. बीते रविवार जब कोरोना के कारण ईद का रंग कुछ फ़ीका पड़ रहा था तब विकास खन्ना ने लगभग 2 लाख लोगों के लिए खाने का इंतजाम कर उनकी ईद की रौनक़ लौटा दी. यह विश्व का सबसे बड़ा ईद फेस्ट था. इसके अलावा उन्होंने कॉर्पोरेट्स, एनजीओ और एनडीआरएफ की मदद से पूरे भारत में 4 मिलियन सूखे राशन का वितरण किया. 'फीड इंडिया' नामक उनकी इस पहल ने लोगों का अपार स्नेह और सम्मान अर्जित किया है. विकास खन्ना जो न्यूयॉर्क में हैं, उन्होंने 'फ्यूल स्टेशन से फूड स्टेशन' परियोजना शुरू की है. वे जल्द ही राजमार्गों तक भी भोजन पहुँचायेंगे, जहाँ लोग अपने गांवों तक पहुँचने के लिए पैदल चल रहे हैं. उन्होंने दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल को 1000 पीपीई किट दान किए हैं. जिसके लिए लता जी ने उन्हें सोशल मीडिया पर धन्यवाद भी दिया था. उन्होंने लिखा, "दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के पूरे परिवार के साथ, मंगेशकर परिवार उनका आभारी है".
विकास, मिशलिन स्टार शेफ़ हैं. अव्वल दर्ज़े के रेस्टोरेंट हैं उनके. कई शानदार कुकरी बुक के लेखक एवं सहृदय कवि हैं. फिल्म निर्देशन भी किया है उन्होंने. लेकिन वे इन सबके कारण ही इतने पॉपुलर नहीं हुए हैं बल्कि उनकी विनम्रता, संवेदनशीलता, भाषा और सादगी भी मन मोह लेती है. कितने लोग हैं जो मास्टरशेफ़ उनके कारण ही देखते आये हैं. मैं भी उनमें से एक हूँ. भोजन को कैसे celebrate किया जाता है, यह हम सबने उन्हीं से सीखा. कोई आश्चर्य नहीं कि इसीलिए उनकी पुस्तक 'उत्सव' विश्व भर के तमाम सेलिब्रिटीज की बुक शेल्फ की शोभा बढ़ा रही है. फिर चाहे वो बर्किंघम पैलेस की महारानी एलिजाबेथ हों या वेटिकन सिटी के पोप. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी उनके हाथों के बने सात्विक भोजन का आनंद उठा चुके हैं.
इस सन्दर्भ में विकास खन्ना की माँ से जुड़ा एक रोचक किस्सा पढ़ा था कभी, कि जब ओबामा से उनकी मुलाक़ात की ख़बर अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी और उन्होंने अपनी मम्मी को बताया तो वे बोलीं "उसमें क्या है? जिस दिन पंजाब केसरी में तुम्हारी ख़बर छपेगी उस दिन तुझे मानूँगी". अब माँ तो माँ ही होती है.
विकास का जीवन बेहद संघर्षपूर्ण रहा है और उन्होंने हर तरह का छोटा काम किया है. हाल ही में बरखा दत्त को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अपने बीते हुए दिनों का एक मर्मस्पर्शी किस्सा सुनाते हुए कहा था कि इंसान को अपनी dignity नहीं खोना चाहिए. इसी इंटरव्यू में उन्होंने यह भी बताया कि जब अभी एक old age home तक खाना पहुँचाने वाला उनका ट्रक नहीं पहुँच पाया था तो वे कितने दुखी और भावुक हो गए थे. लेकिन उन्हें अपनी दादी की दी हुई सीख याद रही कि “जब तक हाथ जलेंगे नहीं तो खाना बनाना सीखोगे कैसे!”
हम बड़े-बड़े खिलाड़ियों, रुपहले पर्दे के कलाकारों, ग्लैमर की दुनिया से जुड़े लोगों को अपना 'हीरो' मान बैठते हैं. किसी की आवाज़ के दीवाने हैं तो किसी के अभिनय के. जबकि वे भी हमारी आपकी तरह अपना काम ही कर रहे हैं और इसके एवज़ में उनकी अच्छी क़माई भी होती है. प्रशंसक होना गलत नहीं! लेकिन अब 'हीरो' का सही अर्थ समझना भी जरुरी हो गया है. हम में से कई बस इसलिए परेशां हैं कि घर से नहीं निकल पा रहे जबकि कई ऐसे जरूरतमंद भी हैं जिनके पास जीने के लिए आवश्यक सामान भी नहीं. यह लॉकडाउन सबके लिए एक सा नहीं है. इस बात को समझ, जो भी अपना सहयोग दे रहा है वह बधाई का पात्र हैं. आज देश को इसी सकारात्मकता और अच्छी सोच की जरुरत है.
विकास जी, आपने हम सबका दिल जीत लिया है. ईश्वर आपको जीवन के सारे सुख दे. करोड़ों देशवासियों की हर दुआ आपके नाम है. आपकी मुस्कान और जज़्बा सदैव सलामत रहे. शुक्रिया, हीरो!
- प्रीति 'अज्ञात'
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सच है प्रीति जी | देश को ऐसे ही निस्कार्थ जननायकों कू जरूरत है नाकि नसकि नायकों की जिनका अक्दास केवल धन कमाना ही है | दोनों को सलाम है |
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