गुरुवार, 9 जनवरी 2014

कैसे बनें करोड़पति !

मुआ, जब से ये 'के.बी.सी.' चालू हुआ है. ना दिन में चैन है..ना रातों को आराम! बचपन से यही तो सपना देखते आ रहे हैं,अमिताभ जी से मिलने का! जब भी दूसरे शहर में जाते,तो यही सोचा करते.."अमित जी को कैसे पता चलेगा,कि हम यहाँ हैं"! वो तो बचपन का पागलपन था,पर अफ़सोस कि अब तक जारी है! 

जब के.बी.सी. का पहला सीज़न शुरू हुआ,तो बड़े ही उत्साहित थे हम! बड़े फोन लगाए, कुछ नहीं हुआ! चुपचाप, उदास से बैठे कार्यक्रम देखा करते और हर प्रश्न पर यही सोचते कि "कितना आसान है,मैं तो सब जीत के ही आती"(घर बैठे देखने में ये बड़ा सुख है..ना घड़ियाल जी,ना टिक-टिकी और ना ही सूईं-मुई का झंझट,बच्चों पर भी अच्छा इंप्रेशन पड़ता है)! 
 खैर! दूसरे सीज़न में भी ट्राइ किया,और क्या कहें जी.."नंबर लग गया"! हमने तो शॉपिंग लिस्ट भी बना डाली, और सबके तॉहफ़ों की भी! तीन दिन में फोन का इंतज़ार करने को कहा गया..कसम ख़ुदा की,हमने घर के बाहर एक कदम तक ना रखा!! क्या पता, कब अमित जी का फोन आ जाए?? हम ना मिलें,तो उन्हें कितना बुरा लगेगा ना, भैया पैसे की बात नहीं हैं; पर किसी का दिल नहीं दुखना चाहिए!! खैर, दिल हमारा ही टूटा! 
 
तीसरे सीज़न में जब यार -दोस्तों ने कहा,"यार, तू ट्राइ क्यों नहीं करती"! तो ऊपर-ऊपर तो हम हँस के बोल दिए,"अरे,कहाँ यार;औरों को जीतने का चान्स देना चाहिए"!(पर अंदर ही अंदर दिल बिलख रहा था,"कैसे बताएँ,कि उंगलियाँ टेढ़ी हो गईं,नज़रें  पथरा गईं,इक फोन के वास्ते") उसके बाद के सीज़न में मन को बहलाया कि.."तेरी क़िस्मत में तो मेहनत का ही फल नहीं,ऐसे सपने ना देख बच्चे"! ये हम यूँ ही नहीं कह रहे, एक बार ही ईनाम मिला है,किसी ढक्कन के नीचे! आप सोच सकते हैं ,कि बस एक बार 'बोरोलीन' मिली थी! आज तक नहीं समझ पाए 'ये ईनाम था,या जख्म लेकर इस्तेमाल करने का सुझाव'! बड़ी हैरत हुई,..हमें! 
 
हां,तो मुद्दा के.बी.सी. था,इस बार हमने जाने का ट्राइ ही नहीं किया! हां,घर बैठे लखपति बनने या जॅकपॉट जीतने का प्रस्ताव हो ;तो हमें कोई आपत्ति नहीं! इसी उम्मीद में चार रुपये का मेसेज किए जा रहे हैं, हिसाब लगाया;ज़्यादा नुकसान नहीं है. एक पिज़्ज़ा नहीं खाएँगे,और क्या!! 
 
अगर ग़लती से किसी की दुखती रग पर हाथ रख दिया हो तो,क्षमा चाहते हैं! एक निवेदन ज़रूर है 'अमित जी' से..सर आप इसका नाम 'कैसे बनें करोड़पति' रख दीजिए,के.बी.सी. तो फिर भी रहेगा! हमें थोड़ी तसल्ली मिल जाएगी कि आप तक हमारी  आवाज़ तो पहुँची!ओके. दोस्तों, अगली बार तक के लिए..शुक्रिया,आदाब ,खुदाहाफ़िज़,सत श्री अकाल,शब्बा खैर,शुभ रात्रि.... 

प्रीति'अज्ञात' @ :))))))) 

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